काबुल (Kabul)। अफगानिस्तान (Afghanistan) के तालिबान शासन (Taliban rule) में महिलाओं (Women) की स्थिति पर वैश्विक स्तर पर काफी चिंताएं जताई जा रही हैं। इस बीच विश्व बैंक (World Bank report) ने एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें बताया गया कि आर्थिक गतिविधियों (Economic activities) में महिलाओं (Women) की भागीदारी के मामले में अफगानिस्तान दुनिया के 178वें स्थान पर आता है। रिपोर्ट में कुल 190 देशों को शामिल किया गया था।
इन आधार पर तैयार हुई रिपोर्ट
महिलाएं, व्यवसाय और कानून- 2024 के शीर्षक वाली विश्व बैंक की रिपोर्ट तीन प्रमुख मानदंडो पर केंद्रित है, जिसमें कानूनी ढांचे, नीति निर्माण और कानूनों और नीतियों के कार्यान्यवयन में महिलाओं की स्थिति पर जोर दिया गया है। रिपोर्ट में महिलाओं की स्थिति का आंकलन कार्यस्थल गतिशीलता, वेतन, स्वामित्व अधिकार, मातृत्व अधिकार, उद्यमिता, निवेश, बाल देखभाल, सुरक्षा, विवाह और सेवानिवृत्ति अधिकार जैसे कई बुनियादी सुविधाओं के आधार पर की गई थी। खामा प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान को कानूनी ढांचे के लिए 100 में से 20 अंक और नीति निर्माण के लिए 100 में से 13.3 अंक मिले हैं। सूची में बेल्जियम, डेनमार्क और कनाडा को सर्वोच्च स्थान दिया गया है।
अफगानिस्तान में महिलाओं पर करीब 90 प्रतिबंध
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, विश्व बैंक की रिपोर्ट चिंता पैदा करती है क्योंकि अफगानिस्तान में महिलाओं को वर्तमान में कई दमनकारी नीतियों का सामना करना पड़ा रहा है। अफगानिस्तान में महिलाओं को करीब 90 प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें रोजगार, शिक्षा और मुक्त आंदोलन आदि शामिल हैं। अफगानिस्तान में पिछले दो वर्षों में निजी क्षेत्र और व्यवसायों में महिलाओं की रुचि बढ़ी है। हस्तशिल्प की दुकान चलाने वाली सेदिका तुफान का कहना है कि हस्तशिल्प कार्याशालाओं में नौकरियों की मांग में वृद्धि हुई है, जिसका मुख्य कारण महिलाओं का रोजगार और शिक्षा से वंचित होना है।
तालिबान का दावा- समृद्धि और सुकून भरा जीवन दे रहे
लड़कियों को पढ़ने से रोकने, महिला अधिकारों के दमन और उन्हें सार्वजनिक जीवन से दूर कर देने की खबरों के बीच पिछले साल तालिबान ने दावा किया था कि उसके राज में महिलाओं की बेहतरी के लिए हरसंभव कदम उठाए गए हैं ताकि वह एक समृद्ध और सुकून भरा जीवन जी सकें। तालिबान के सर्वोच्च नेता हिबतुल्लाह अखुंदजादा ने दावा किया कि इस्लामिक अमीरात शासन के दौरान महिलाओं को जबरन विवाह जैसी तमाम कुप्रथाओं से मुक्ति दिलाई गई है।
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