नई दिल्ली (New Delhi) । वर्ल्ड बैंक (world bank) ने मंगलवार को भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian economy) पर अपनी एक रिपोर्ट सार्वजनिक की. वर्ल्ड बैंक का कहना है कि भारत (India) में महंगाई बढ़ी (inflation increased) है लेकिन खाने पीने के सामान और ईंधन के दामों को काबू में रखने की वजह से ज्यादा असर नहीं है. महामारी के बाद एक बार फिर लेबर बाजार में सुधार हो गया है. लेकिन विनिर्माण और निर्माण कार्य वाले क्षेत्रों में गई नौकरियों में महामारी पूर्व का स्तर अभी तक नहीं आ पाया है.
वर्ल्ड बैंक का कहना है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में वास्तविक जीडीपी विकास दर 6.3 प्रतिशत होगी. महंगाई दर के गिरने की उम्मीद है. बता दें कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है. इस दौरान कुछ रिस्क दिखाई जान पड़ रहे हैं. माना जा रहा है कि अमेरिका और यूरोप के वित्तीय क्षेत्र में आए भूचाल का असर भारत पर भी पड़ेगा.
वर्ल्ड बैंक ने आज भारत से संबंधित इंडिया डेवेलेपमेंट अपडेट रिपोर्ट साझा की है. रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि भारत का विकास कुछ लचीला बना रहेगा, हालांकि भारतीय अर्थव्यवस्था में महामारी के बाद सुधार के कई कारक दिखाई पड़ते हैं. वहीं, वैश्विक स्तर पर कई चुनौतियां अभी भी मौजूद हैं लेकिन भारत तेजी से विकास करती अर्थव्यवस्थाओं में स्थान बनाए हुए हैं.
भारत की जीडीपी वृद्धि 2023-24 में खपत में कमी आने की वजह से धीमी पड़कर 6.3 प्रतिशत पर आ सकती है जो पहले के 6.6 प्रतिशत के अनुमान से कम है.
विश्व बैंक ने भारत की वृद्धि के अपने ताजा अनुमान में कहा कि खपत में धीमी बढ़ोतरी होने और चुनौतीपूर्ण बाहरी परिस्थितियों की वजह से वृद्धि बाधित हो सकती है. इसमें कहा गया, ‘‘आय में धीमी वृद्धि और कर्ज के महंगा होने का असर निजी उपभोग की वृद्धि पर पड़ेगा. महामारी से संबंधित वित्तीय समर्थन के कदमों को वापस लेने की वजह से सरकारी खपत की रफ्तार भी कम रहने का अनुमान है.”
रिपोर्ट में कहा गया कि चालू खाता घाटा 2023-24 में कम होकर 2.1 प्रतिशत पर आ सकता है, जो तीन प्रतिशत था. मुद्रास्फीति के बारे में अनुमान जताया गया है कि यह 6.6 प्रतिशत से घटकर 5.2 प्रतिशत पर आ सकती है.
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