नई दिल्ली: रूस-यूक्रेन जंग की वजह से उपजे अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संकट को देखते हुए विश्व बैंक ने मंदी की आशंका जताई है. विश्व बैंक के प्रेसिडेंट डेविड मालपास (David Malpass) ने कहा है कि युद्ध का असर खाद्य पदार्थों, ऊर्जा और फर्टिलाइजर की आपूर्ति पर पड़ रहा है. इसके चलते वैश्विक मंदी आ सकती है.
संकट को देखते हुए विश्व बैंक ने पहले ही 2022 के अपने ग्लोबल ग्रोथ अनुमान को 1 फीसदी घटा कर 3.2 फीसदी कर दिया है. यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स के एक कार्यक्रम में डेविड मालपास ने कहा कि ऊर्जा की बढ़ती कीमतों की वजह से जर्मनी की इकोनॉमी सुस्त हो गई है. जर्मनी दुनिया की चौथी बड़ी इकोनॉमी है. वहीं, फर्टिलाइजर के कम उत्पादन से दूसरे देशों के हालात बिगड़ सकते हैं.
बड़े देशों की ग्रोथ पड़ सकती है सुस्त
डेविड मालपास ने कहा, “ग्लोबल जीडीपी को देखते हुए अभी यह कहना मुश्किल है कि मंदी से कैसे बच सकते हैं.” युद्ध की वजह से रूस और यूक्रेन की अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट आने का अनुमान है. वहीं यूरोपीय देश, चीन और अमेरिका की रफ्तार ज्यादा सुस्त हो सकती है. उन्होंने दावा किया कि फर्टिलाइजर, खाद्य पदार्थों और ऊर्जा की कीमतों में उछाल की वजह से विकासशील देशों को ज्यादा मुश्किल हो रही है.
ऊर्जा की कीमतें मंदी को दे सकती हैं बढ़ावा
विश्व बैंक प्रेसिडेंट ने कहा, “ऊर्जा की कीमतें यदि बढ़ कर दोगुनी हो जाती है तो मंदी को बढ़ावा देने के लिए ये अकेला ही पर्याप्त है. कोविड-19 महामारी, महंगाई और रियल एस्टेट से जुड़े मुद्दों के चलते चीन की ग्रोथ असाधारण रूप से सुस्त हो रही है.”
भारत में कोविड-19 से प्रभावित एमएसएमई कंपनियों की सहायता के लिए विश्व बैंक ने जून 2021 में 50 करोड़ डॉलर की कर्ज योजना को मंजूरी दी थी. इसके अलावा केंद्र सरकार भी एमएसएमई कॉम्पिटीटिवनेस प्रोग्राम के जरिये लघु, छोटे एवं मध्यम उद्योगों का प्रदर्शन सुधारने में जुटी है. इस योजना का मकसद 5.55 लाख से ज्यादा एमएसएमई के प्रदर्शन में सुधार करना है.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved