इंदौर। नगर निगम द्वारा इसी सप्ताह से शहर में तीन नए स्थानों पर ड्रेनेज लाइनों के पानी के निराकरण के लिए 416 करोड़ के तीन नए एसटीपी बनाने का काम शुरू किया जा रहा है। नए एसटीपी बनने की समयावधि 18 महीने की रहेगी और उनके बनने से कनाडिय़ा, पीपल्याहाना, किला मैदान, लक्ष्मीबाई नगर सहित दर्जनों कॉलोनियों की ड्रेनेज समस्या का निराकरण होगा।
नगर निगम द्वारा नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत शहर के कई इलाकों में तालाब और नदी संवारने के प्रोजेक्ट तैयार किए गए हैं और उनमें करीब 800 करोड़ से ज्यादा की राशि केंद्र सरकार से मांगी गई थी। इसके अलावा ड्रेनेज पानी की निकासी और ड्रेनेज संबंधी कार्यों के लिए भी अलग से करोड़ों की राशि मांगी गई है। इसके लिए चार से पांच प्रोजेक्ट अलग-अलग बनाकर भेजे गए हैं। इनमें से कुछ कार्यों के लिए मंजूरी मिल चुकी है और साथ ही पैसा भी आया है। नगर निगम अधिकारियों के मुताबिक शहर में पहले से 10 एसटीपी करोड़ों की लागत से बनाए गए हैं और अब तीन नए स्थान पर एसटीपी पर बनाने का काम इसी सप्ताह से शुरू कराया जा रहा है।
तीनों एसटीपी बनने का काम नीर केयर कंपनी को दिया गया है और इस पर करीब 416 करोड़ रुपए की लागत आएगी। 18 महीने में एसटीपी तैयार करने होंगे और इनमें सभी एसटीपी अलग-अलग क्षमता वाले हैं। अफसरों के मुताबिक इनमें कनाडिय़ा के बेगमखेड़ी में बनने वाला एसटीपी 40 एमएलडी क्षमता वाला रहेगा। कनाडिय़ा, पीपल्याहाना और आसपास की कई दर्जनों कॉलोनी की ड्रनेज समस्या का निराकरण हो सकेगा और ड्रेनेज का पानी ट्रीटमेंट प्लांट में साफ हो सकेगा। इसके अलावा कबीटखेड़ी में 120 एमएलडी का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जाएगा। इससे भी आसपास की कई नई कॉलोनियों की ड्रेनेज लाइनों का पानी ट्रीट हो सकेगा। सबसे छोटा ट्रीटमेंट प्लांट लक्ष्मीबाई नगर अनाज मंडी के बोर्ड ऑफिस के समीप बनाया जाएगा। इससे भी आसपास की दर्जनों कॉलोनियों की ड्रेनेज संबंधी समस्या का निराकरण होगा।
ट्रीटेड पानी का सबसे ज्यादा उपयोग उद्यानों में
नगर निगम अफसर के मुताबिक शहर में करोड़ों के 10 एसटीपी बनवाए गए हैं और इनमें अधिकांश राशि केंद्र सरकार से नगर निगम को मिली है, जिसके आधार पर एसटीपी का निर्माण कराया गया। अब सभी एसटीपी से हर रोज नगर निगम को विभिन्न ड्रेनेज लाइनों का 350 एमएलडी ट्रीटेड वाटर मिल रहा है। ट्रीटेड पानी की खपत के लिए नगर निगम ने मेघदूत उपवन के समीप एक छोटी टंकी का निर्माण भी किया है, जहां से कई लोग नि:शुल्क पानी ले जाते हैं। वहीं दूसरी ओर ट्रीटेड वाटर की लाइन बिछाने की भी बड़ी योजना प्रस्तावित है। पूर्व में नगर निगम ने ट्रीटेड वाटर को कृषि कार्यों के लिए विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में देने की तैयारी की थी, लेकिन यह योजना विभिन्न कारणों के चलते असफल रही।
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