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    केन बेतवा लिंक परियोजना के लिए 3 महीने में शुरु हो जाएगा विस्थापन और भूअर्जन का कार्य

  • February 06, 2022

    • एक सप्ताह में अधिसूचना जारी होने की संभावना मुख्य नहर का नक्शा भी होगा फायनल

    भोपाल। केन्द्र सरकार द्वारा आम बजट में भारत की पहली नदी जोड़ो केन-बेतवा लिंक परियोजना के लिए 1400 करोड़ रूपए का प्रारंभिक बजट आवंटित कर दिया गया है। इसके साथ ही मुख्य नहर के लिए भू अर्जन की तैयारियां शुरु हो गई है। जलसंसाधन विभाग ने जिला प्रशासन के जरिए भू अर्जन का प्रस्ताव जलसंसाधन विभाग भोपाल को भेजा है। एक सप्ताह में भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना जारी होने की संभावना है। वहीं अगले तीन महीने में भू अर्जन व विस्थापन का कार्य शुरु हो जाएगा। छतरपुर जल संसाधन विभाग ने जिले के अंतर्गत मुख्य नहर के निर्माण में की जाने वाली भूमि अर्जन की जानकारी का प्रस्ताव जिला प्रशासन के माध्यम से भोपाल के जल संसाधन विभाग को भेज दिया है। अधिसूचना जारी होने पर ये तस्वीर साफ हो जाएगी कि छतरपुर जिले में कितने गांव से मुख्य नहर निकलेगी और कितनी जमीन को सरकार अधिग्रहीत करेगी। राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण के कार्यपालन यंत्री सुरेश गंवाडे ने बताया कि इस योजना के अंतर्गत छतरपुर के ढोढऩ में केन नदी पर मुख्य बांध बनाकर उससे बेतवा नदी को जोडऩे वाली मुख्य नहर निकाली जाएगी। यह नहर ढोडऩ से खरियानी, पल्कोहां होते हुए ग्राम काकरा से गुजरेगी।


    एक सप्ताह में फायनल होगा नक्शा
    छतरपुर जल संसाधन विभाग के प्रारंभिक प्रस्ताव के मुताबिक बिजावर ब्लाक के 14 गांव भू अर्जन से प्रभावित होंगे। ग्राम ढोढऩ, पल्कोहां, खरियानी, मोरकुआं, सुकवाहा, घुघरी, वसुधा, कुपी, शाहपुर, पाठापुर, नैगुवां, डुगरिया, कदवारा और काकरा की जमीन को सरकार अधिग्रहीत करेगी। राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण के कार्यपालन यंत्री सुरेश गंवाडे ने बताया कि इस योजना में सरकार की कोशिश है कि सिर्फ मुख्य नहर के लिए ही जमीन अधिग्रहीत की जाए और जिस तरह पुराने समय में ज्यादा जमीन अधिग्रहीत की जाती थी उतनी जमीन अधिग्रहीत न की जाए। इस पर जल संसाधन विभाग और राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण काम कर रहा है। आने वाले एक सप्ताह में इसका नक्शा फाइनल हो जाएगा।

    माइक्रो इरीगेशन से मिलेगा खेतों को पानी
    भारत के पहले नदी जोड़े प्रोजेक्ट के अंतर्गत कोशिश की जा रही है कि पानी की बर्बादी को रोकने और किसानों की कम से कम जमीन को अधिग्रहीत करने के लिए ज्यादा खुली नहरें न बनाई जाएं। इसके लिए दो नदियों को आपस में मिलाने वाली मुख्य नहर ही चौड़ी और खुली होगी। इस मुख्य नहर पर ही पंप हाउस बनाए जाएंगे जहां से माइक्रो इरीगेशन व्यवस्था बनाकर पाइपों के जरिए सिंचाई और पेयजल के लिए पानी उपलब्ध कराया जाएगा।

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