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    बंदूक की नोंक पर काम, बिजली के झटके; जॉब के नाम पर ‘जहन्नुम’ में फंसे भारतीय!

  • November 15, 2022

    नई दिल्ली: हर साल देश से लाखों युवा विदेश में नौकरी का सपना लिए अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, सिंगापुर, मलेशिया जैसे देशों का रुख करते हैं. हालांकि, हर किसी के लिए ये सफर सुहाना नहीं होता है. कई बार लोग काम की तलाश में गलत जगह फंस जाते हैं और उन्हें यातनाओं का शिकार होना पड़ता है. ऐसा ही कुछ Tamil Nadu के रामनाथपुरम जिले के रहने वाले 25 वर्षीय नीधि राजन एन के साथ हुआ. दरअसल, वह काम की तलाश में दक्षिण पूर्व एशिया में स्थित कंबोडिया गए थे, लेकिन जल्द ही उन्हें एहसास हो गया कि वे गलत जगह आकर फंस गए हैं.

    नीधि राजन को कंबोडिया में काम तो मिल गया, लेकिन ये जिंदगी बंधुआ मजदूर की तरह हो गई. उनसे हर रोज 16-16 घंटे काम करवाया जाता. इस दौरान हथियार बंद गार्ड उनके पास मौजूद रहते थे. काम के बाद खाने के नाम सिर्फ उबला हुआ चावल मिलता. सिर्फ इतना ही कई बार तो उन्हें बिजली के झटके भी दिए जाते. आज भी कंबोडिया में बिताए दिनों को याद कर राजन की रूह कांप उठती है.

    ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर क्या हुआ कि रोजगार की तलाश में वतन छोड़कर गए इस युवा को इन ज्यादतियों से गुजरना पड़ा. उसे काम के साथ यातनाएं भी झेलनी पड़ी और फिर परेशान होकर किसी तरह देश लौटना पड़ा. राजन उन भारतीयों में शामिल थे, जो हाल ही में कंबोडिया से वापस लौटे हैं. ये सभी लोग जॉब स्कैम यानी नौकरी दिलाने के झांसे का शिकार बन गए थे. राजन एक डिप्लोमा ग्रेजुएट हैं, जबकि उनके साथ ही तिरुचिरापल्ली के रहने वाले इंजीनियरिंग ग्रेजुएट एम अशोक मणिकुमार भी थे. ये सभी लोग कंबोडिया में नौकरी की तलाश में गए थे, मगर वहां जाकर ‘बंधुआ मजदूर’ बन गए.


    इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, राजन ने बताया कि कोविड महामारी की वजह से उनके पास नौकरी नहीं थी. इस साल मई में वह अपने स्कूल के जूनियर एन महादीर मोहम्मद के संपर्क में आए. महादीर ने बताया कि वह कंबोडिया में एजेंट के तौर पर काम करता है और वहां पर डेटा एंट्री के लिए वैकेंसी है. राजन और मणिकुमार को बताया गया उन्हें कंबोडिया में 1000 डॉलर प्रति महीना की सैलरी मिलेगी. लेकिन उन्हें पहले टिकट और वीजा के लिए 2.5 लाख रुपये देने को कहा गया.

    राजन और मणिकुमार दोनों ने महादिर को पैसे ट्रांसफर किए और जल्द ही उन्हें कंबोडिया की टिकट भी मिल गई. जून में कंबोडिया पहुंचने पर महादिर ने उनके पासपोर्ट ले लिए और उन्हें एक गेस्ट हाउस में लेकर गया. दो दिनों के भीतर राजन और मणिकुमार को नौकरी भी मिल गई. लेकिन ऑफिस के पहले ही दिन उन्हें मालूम चला कि वे किसी जेल में फंस गए हैं. राजन ने बताया कि हमें डेटा एंट्री करने के लिए नहीं स्कैम करने के लिए यहां लाया गया था. हमें खाने से लेकर सोने तक का ऑर्डर दिया जाता था. हमें बाहर जाने की इजाजत भी नहीं थी.

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