भोपाल। कैलाश सारंग के व्यक्तित्व को शब्दों में नहीं बांधा जा सकता है। वे कुशल संगठक, लेखक, कवि, चिंतक, पत्रकार और अच्छे कार्यकर्ता थे। हम जब कभी भी किसी मुश्किल में पड़ते थे तब हमें एक ही नाम याद आता था कैलाश सारंग। जब भी हम निराश, हताश होते या किसी कार्यक्रम की व्यवस्थाओं को लेकर चिंतित होते थे तो समाधान के लिए सारंग जी के पास दौड़े चले जाते थे। उनका हमेशा मार्गदर्शन, प्यार मिलता था और वे समय-समय पर समझाते भी थी। यह बात प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान भोपाल के रवीन्द्र भवन मुक्ताकाश में आयोजित कैलाश नारायण सारंग जी की श्रद्धांजलि सभा में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि कैलाश सारंग लाखों लाख कार्यकर्ताओं के पालक थे। वे अजातशत्रु थे और भोपाल का इतिहास उनके बिना नहीं लिखा जा सकता है। ऐसा कोई वर्ग नहीं जिससे उनके मधुर संबंध न रहे हों। श्रद्धांजलि सभा में पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा कि मेरी सारंग जी से मुलाकात 1970 में हुई थी। जब में किसी पार्टी का सदस्य नहीं था। तब ठाकरे जी और राजमाता ने सारंग जी के साथ दौरे करने का निर्देश दिया था पर दो दिन के दौरे के दौरान ही यह महसूस हुआ कि हम दोनों के विचार अलग-अलग हैं। हम दोनों के विचार भले ही नहीं मिले पर दिल हमेशा मिलते रहे। हमारे पारिवारिक संबंध हमेशा अच्छे रहे। उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे वह पीढ़ी समाप्त हो रही है, जिसने कभी पद की लालसा नहीं की। बगैर किसी लोभ-लालच के संगठन का कार्य किया। श्रद्धाजलि सभा में सभी धर्मों के धर्माचार्य, पूर्व सांसद प्रभात झा, डॉक्टर, इंजीनियर, छात्र सहित गणमान्य नागरिकों सहित देश भर से आये हजारों लोगों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किये।
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