नई दिल्ली: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल अलग-अलग सेक्टर्स में हो रहा है. कानूनी कामकाज में भी एआई का इस्तेमाल बढ़ रहा है. इसके जरिए सुप्रीम कोर्ट के 36,324 फैसलों का हिंदी में ट्रांसेलशन किया गया है, जबकि 42,765 फैसलों का 17 रीजनल भाषाओं में अनुवाद किया गया है. भारतीय भाषाओं में अनुवादित ये फैसले e-SCR पोर्टल पर मिलेंगे. उपलब्ध कराया गया है, शुक्रवार को संसद को सूचित किया गया.
शुक्रवार को कानून और न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में कहा कि उच्च न्यायालयों की एआई ट्रांसलेशन कमेटी सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसलों के लोकल भाषाओं में ट्रांसलेशन से जुड़े सभी कामकाज की निगरानी कर रही हैं.
लीगल रिसर्च और ट्रांसलेशन में एआई के इस्तेमाल पर रोशनी डालते हुए राज्य मंत्री मेघवाल ने कहा कि एआई का इस्तेमाल ट्रांसलेशन, प्रिडिक्शन और फोरकास्ट, एडिमिनिस्ट्रेटिव एफिशियंसी में सुधार, नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (NLP), ऑटोमैटिक फाइलिंग, इंटेलिजेंट शेड्यूलिंग, केस इंफॉर्मेशन सिस्टम को बढ़ाने और चैटबॉट के जरिए वादियों के साथ बातचीत करने जैसे कामों में किया जा रहा है.
राज्य मंत्री ने कहा कि ई-कोर्ट प्रोजेक्ट के तीसरे फेज के तहत, बेहतर यूजर एक्सपीरियंस के लिए मॉडर्न टेक्नोलॉजी को इंटिग्रेट करने और एक ‘स्मार्ट’ सिस्टम बनाने की कोशिश की जा रही है, जिसमें रजिस्ट्री में कम से कम डेटा एंट्री और फाइल्स की स्क्रूटनी होगी.
राज्य मंत्री ने कहा कि स्मार्ट सिस्टम बनाने के लिए एआई और इसके सबसेट मशीन लर्निंग (ML), ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन (OCR), नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (NLP) जैसी लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल ई-कोर्ट सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन में किया जा रहा है. राज्य मंत्री ने बताया कि आज की तारीख तक 17 हाईकोर्ट ने अपनी वेबसाइट्स पर ई-हाईकोर्ट रिपोर्ट (e-HCR) या ई-इंडियन लॉ रिपोर्ट (e-ILR) डालना शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा कि e-HCR/e-ILR डिजिटल लीगल प्लेटफॉर्म हैं, जहां लोकल लैंग्वेज में फैसले ऑनलाइन मिल जाते हैं.
एआई के इस्तेमाल से जुड़े डेटा प्राइवेसी की चिंताओं को दूर करने के लिए विभिन्न हाईकोर्ट के छह जजों की एक सब-कमेटी बनाई गई है. इसमें डोमेन एक्सपर्ट्स से लैस एक टेक्निकल वर्किंग ग्रुप भी मदद करेगा. सब-कमेटी डेटा प्रोटेक्शन के लिए सिक्योरिटी कनेक्टिविटी और ऑथेंटिकेशन मैकेनिज्म की सिफारिश करेगी. इस कवायद का मकसद राइट टू प्राइवेसी को संरक्षित करना है. यह सब-कमेटी सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी के अध्यक्ष द्वारा गठित की गई है.
राज्य मंत्री मेघवाल ने कहा कि सब-कमेटी को डेटा प्रोटेक्शन को मजबूत करने और नागरिकों की प्राइवेसी की रक्षा के लिए समाधान देने के लिए ई-कोर्ट प्रोजेक्ट के तहत बनाए गए डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, नेटवर्क और सर्विस डिलीवरी सॉल्यूशंस का गंभीरता से आकलन और जांच करने का अधिकार है.
कानूनी कामकाज में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि हरेक मामले की रोजाना की कार्यवाही केस इंफॉर्मेशन सिस्टम (CIS) में दर्ज की जाती है और वादी को वेबसाइट और मोबाइल एप्लिकेशन जैसे ई-कोर्ट सर्विस प्लेटफॉर्म्स से इसकी जानकारी दी जाती है. इसके अलावा अदालती कार्यवाही की लाइव-स्ट्रीमिंग और रिकॉर्डिंग के लिए मॉडल नियम मौजूद हैं.
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