मुरादाबाद: उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद का इतिहास पौराणिक है, लेकिन यह जिला अपने ऐतिहासिक धरोहरों को संजो कर रखने में विफल साबित हुआ है. यहां तक कि करीब 600 साल पहले बने सती के मठ भी अपने अस्तित्व खाने लगे हैं. यह वही मठ हैं जहां स्थानीय महिलाओं ने अपने सतीत्व और आत्म सम्मान को बचाने के लिए अग्नि समाधि ले ली थीं.
बाद में उनके यादगार के तौर पर इन मठों का निर्माण किया गया, लेकिन बाद की पीढी इन्हें बचा नहीं सकी. मुरादाबाद जिले में इस तरह के मठ ठाकुरद्वारा, कटघर, अगवानपुर के अलावा रामगंगा नदी के किनारे काफी संख्या में थे. शुरू में लोग यहां पूजा पाठ के लिए भी जाते थे. लेकिन अपनों की बेरूखी की वजह से धीरे धीरे ये मठ नष्ट होते चले गए. जिले के इतिहासकार डॉक्टर अजय अनुपम कहते हैं कि रामगंगा नदी के किनारे एक मंदिर है.
यहां पर पांडवों के बनवास के दौरान माता कुंती ने देवी की पूजा की थी. इस मंदिर के आसपास का इलाका श्मशान है. यहीं पर काफी संख्या में मठ हुआ करते थे. उन्होंने बताया कि यह सभी मठ पूर्व में सती हुई महिलाओं की अस्थियों पर बने थे. इन मठों के अलावा एक सौ सतियों के मठ अगवानपुर में भी हैं.
यहां सतयुग के मठ भी मौजूद है. ये मठ कटघर में है. उन्होंने बताया कि जिले में बने तमाम मठ करीब 600 साल पहले के हैं. इनमें से बड़ी संख्या में मठ तो बचे ही नहीं, जो बचे भी हैं तो उनकी हालत बहुत खराब है. अजय अनुपम के मुताबिक महिलाओं ने अपना आत्म सम्मान बचाने के लिए सतीत्व का रास्ता अपनाया था. वह अपने पति के साथ ही अग्नि समाधि लेकर सती हो गई थीं.
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