नई दिल्ली: दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश चीन में एक नई चिंता घर कर गई है. एक तरफ चीन की आबादी धीरे-धीरे बूढ़ी होती जा रही है, दूसरी ओर चीन का प्रजनन दर भी अपने सबसे निचले स्तर पर है. हालिया ट्रेंड में देखा गया है कि चीन की महिलाएं अब बच्चे पैदा करने से बच रही है.चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी इस समस्या पर देश का ध्यान खींचा है.
ऑल चाइना वीमेन फेडरेशन की बैठक में जिनपिंग ने कहा, “महिलाओं के उत्थान को सिर्फ उनके कार्यस्थल के प्रदर्शन से नहीं बल्कि पारिवारिक सद्भाव, सामाजिक सद्भाव और राष्ट्रीय विकास के आधार पर आंकना चाहिए.” जिनपिंग ने कहा कि आज के युवाओं को शादी और बच्चे पैदा करने के प्रति अपनी सोच को दृढ करना चाहिए.
कई मोर्चों पर जूझ रहा चीन
वर्तमान में चीन आंतरिक तौर पर कई मोर्चों पर जूझ रहा है.जैसे महिलाओं में बच्चे पैदा करने का खौफ, युवाओं में शादी से मोहभंग, लैंगिक भेदभाव, नवजातों के पालन-पोषण का खर्च. गौरतलब है कि चीन की जनसंख्या पिछले साल छह दशकों में पहली बार घटी है. यह संख्या बढ़ाने के लिए सरकार कई योजनाओं पर लगातार काम कर रही है.चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस मुद्दे पर मई में एक बैठक भी की थी. तमाम कोशिशों के बाद भी चीन का प्रजनन दर गिर रहा है. इसमें स्थिर लाने के लिए कई तरह की स्कीम भी लाई गई है.
क्या चीन भारत को खतरे के तौर पर देखता है?
चीन की आबादी बूढ़ी हो रही है और उसके पड़ोसी भारत में युवाओं की एक बड़ी आबादी है.चीनी सरकार को डर है कि आने वाले समय में कामगारों की तलाश में कंपनियां भारत का रूख न कर लें.
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