नई दिल्ली: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने कहा कि वंचित तबके से ताल्लुक रखने वाली महिलाओं के साथ अब भी पुरुष सहकर्मियों के मुकाबले सैलरी के मामले में भेदभाव होता है, जबकि तमाम क्षेत्रों में वह पुरुषों से कहीं आगे हैं. CJI चंद्रचूड़ बेंगलुरु में जस्टिस एस वेंकटरमैया सेंटिनल मेमोरियल लेक्चर में अपनी बात रख रहे थे. इस कार्यक्रम का आयोजन नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी ने किया था. CJI इसके चांसलर भी हैं.
महिला और पुरुष कर्मचारियों के बीच सैलरी में असमानता की चर्चा करते हुए CJI ने कहा कि यह अब भी हमारे समाज के सामने बड़ी चुनौती वाला और चिंताजनक विषय है. इससे यह भी पता चलता है कि हमारा समाज अब भी महिलाओं की प्रतिभा को पहचानने, उचित सम्मान देने के लिए तैयार नहीं है. भेदभाव कायम है. चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने सकारात्मक नीतियों के जरिए इस गैप को भरने की अपील की.
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने दिव्यांगों की भी चर्चा की और कहा कि डिसएबल लोगों सार्वजनिक मौकों का उचित लाभ नहीं मिल पा रहा है. समाज का एक तबका डिसएबल्ड पर्सन के प्रति अब भी भेदभाव वाला रवैया रखता है. सीजेआई ने कार्यक्रम में कर्नाटक ज्यूडिशियरी की तारीफ भी की और कहा कि यहां न्यायपालिका में सर्वाधिक दिव्यांग व्यक्तियों को नौकरी दी गई है, जो काबिले तारीफ है.
CJI ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय ने दिव्यांग व्यक्तियों की गरिमा में और समान अवसर की वकालत की है और राज्यों से भी अपेक्षा है कि वह इसे फॉलो करें. कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट की एक और जस्टिस बीवी नागरत्ना ने भी शिरकत की. जस्टिस नागरत्ना भी चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बनने की कतार में हैं.
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