– डॉ. विपिन कुमार
साल 2013 में जब नरेन्द्र मोदी भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार घोषित किए गए तो उन्होंने महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण का भरोसा देश को दिया था। पिछले 8 साल में ये कहा जाता सकता है कि प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार महिला सशक्तिकरण को लेकर प्रतिबद्ध है। बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ, तीन तलाक पर बैन व पीएम आवास योजना के तहत घर का मालिकाना हक महिलाओं को दिये जाने से लेकर मुद्रा योजना तक इसके कई मिसाल हैं। प्रधानमंत्री मोदी का महिला सशक्तिकरण पर दिया गया वक्तव्य काफी सराहनीय है। उन्होंने अपने मन की बात कार्यक्रम में तमिलनाडु के तंजवूर डॉल का भी जिक्र किया।
प्रधानमंत्री ने अपने इस सम्बोधन से जहां एक तरफ देश की आधी आबादी का मनोबल बढ़ाया, वहीं महिलाओं को अपने पैरों पर खड़े होने को प्रेरित भी किया। देश की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने प्रतीकात्मक रूप से दिए अपने संदेश में कहा कि तंजवूर डॉल जितनी खूबसूरत है, महिला सशक्तिकरण की यह कहानी भी उतनी ही खूबसूरती से लिखी जा रही है। उन्होंने कहा कि तंजवूर में इन महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों द्वारा स्टोर और कियोस्क चलाए जा रहे हैं, जिससे कई गरीब परिवारों के जीवन में बहुत बड़ा बदलाव आया है। इन स्टोरों की मदद से महिलाएं अपने उत्पादों को सीधे ग्राहकों तक ले जाने में सफल हो रही हैं। उन्होंने देशवासियों से कहा कि वे अपने उत्पादों के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करें। उपयोग में लाएं और उत्पादों को प्रोत्साहित करें। इस माध्यम से यहां की महिलाएं न केवल आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो रही हैं, बल्कि इस अनोखे उपहार के माध्यम से वे अपनी स्थानीय संस्कृति और कला को पूरे देश व दुनिया में प्रचारित-प्रसारित कर रही हैं । आपको यह ज्ञात होना चाहिए कि तंजवूर में इन महिलाओं की कई दुकानें प्राइम लोकेशंस पर हैं। इन सभी दुकानों का संचालन महिलाओं की देखरेख में किया जा रहा है।
यहां यह समझना जरूरी है कि जीआई टैग से संबंधित बातों को जानकर हम आर्थिक रूप से सशक्त हो सकते हैं और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ सकते हैं। खासकर महिलाएं देश के विभिन्न हिस्सों के पारंपरिक उत्पाद को आगे बढ़ा सकती हैं। इससे महिलाएं न केवल आर्थिक आत्मनिर्भरता को प्राप्त करेंगी,बल्कि अपने क्षेत्र की कला व संस्कृति को भी संवर्धित व संरक्षित करेंगी। इसका अर्थ है भौगोलिक संकेत चिह्न। जीआई टैग उस उत्पाद या वस्तु को दिया जाता है जो उस क्षेत्र को दर्शाता है। जैसे बिहार की मधुबनी पेंटिंग, लिट्टी चोखा, राजस्थान की दाल बाटी, चूरमा, भागलपुर का सिल्क , कोलकाता की मिष्टी दोई। बनारस की बनारसी साड़ी, दार्जिलिंग की चाय, तिरुपति का लड्डू, जयपुर का ब्लू पॉटरी और महाराष्ट्र का अलफांसो आम आदि । एक वस्तु या उत्पाद को केवल एक विशेष क्षेत्र की पहचान बनाए रखने के लिए एक चिह्न (टैग) दिया जाता है। इससे नकली उत्पादों पर भी अंकुश लगता है।
जीआई टैग के कारण उस भौगोलिक क्षेत्र के खास उत्पाद की मांग बढ़ती है। वैश्विक बाजार में विशेष पहचान भी मिलती है। इससे रोजगार में वृद्धि होती है। उस क्षेत्र के पर्यटन को भी प्रोत्साहन मिलता है। उदाहरण के लिए दार्जिलिंग चाय को ले सकते है। उसे भारत में पहली बार जीआई टैग दिया था। यहां भौगोलिक शब्द दार्जिलिंग को चाय के नाम से जोड़ा गया है जो इस उत्पाद के भौगोलिक संकेत को दर्शाता है। केवल दार्जिलिंग में उपजने वाली चाय को ही दार्जिलिंग चाय कहकर बेचा जाना चाहिए। कहीं और से उपजने वाली चाय को दार्जिलिंग चाय के नाम से बेचना अपराध है। इसी कारण भारत सरकार उस क्षेत्र विशेष के उत्पादों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करके उन्हें जीआई टैग प्रदान करती है। केंद्र के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जीआई टैग दिया जाता है । जीआई टैग सबसे पहले वर्ष 2004 में दार्जिलिंग चाय को दिया गया था। अब तक सरकार कुल 325 उत्पाद को जीआई टैग प्रदान कर चुकी है। महिला सशक्तिकरण की दिशा में प्रधानमंत्री की यह पहल स्वागतयोग्य है। इससे देश की आधी आबादी को ताकत मिलेगी। देश की अर्थव्यवस्था भी सुदृद्ध होगी।
(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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