उज्जैन। लॉकडाउन के बाद से लोगों की कमाइयां घटने लगी, बेरोजगारी बढ़ी, नौकरियां छूटी, महंगाई चरम पर पहुंच गई। मध्यमवर्गीय परिवारों का जीना मुश्किल हो गया तो गरीबों के तो भूखे मरने की नौबत आ गई। परेशानियों के संकट में घिरे परिवारों में खर्च और घर चलाने को लेकर पुरुषों की खिसियाहट इस कदर बढ़ी कि घरेलू हिंसा के मामले में दो से लेकर तीन गुना तक की बढ़ोत्तरी हो गई है। वन स्टॉप सेंटर में यूं तो आंकड़े कोरोना की पहली लहर के बाद जुलाई-अगस्त से ही बढऩे लगे थे, लेकिन पिछले महीने का आंकड़ा भी कम चौंकाने वाला नहीं है। अखबारों, सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से जानकारी लगने के बाद घरेलू हिंसा या अन्य किसी परेशानी का शिकार महिलाएं बड़ी संख्या में पहुंच रही हैं।
कई को यहां आसरा भी दिया गया है। 2019, 2020 और 2021 के मुकाबले आंकड़ों में बढ़ोतरी हुई है, जिसका कारण इस सेंटर से सुनवाई और मदद की जानकारी लगने के साथ ही जागरूकता बढऩा है। पिछले दो साल से लॉकडाऊन के चलते आर्थिक तंगी और बेरोजगारी के चलते परिवारों में विवाद बढऩे के चलते महिलाओ के साथ मारपीट के 500 से ज्यादा मामले सामने आए हैं, इनमें से पुलिस ने 226 में समझौता कराया है, जबकि 99 मामले कोर्ट में चले गए हैं। इसके अलावा 72 मामलों में स्वैच्छा से दंपत्ति ने अलग-अलग रहने का निर्णय कर लिया है।
हाईप्रोफाइल मामले भी वन स्टॉप सेंटर के पास
वन स्टॉप सेंटर से जानकारी मिली है कि पिछले महीने आए नब्बे फीसद मामले घरेलू हिंसा के थे। दस फीसद मामले प्रॉपर्टी विवाद और अन्य थे। इसमें कुछ मामले हाईप्रोफाइल भी रहे। जागरूकता के अलावा सोशल मीडिया और अखबारों की मदद से कई लोगों ने वन स्टॉप सेंटर पर आकर मदद ली जा रही है।
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