उज्जैन। सभी राजस्व अधिकारियों को कलेक्टर ने नामांतरण के साथ ही बटांकन, नक्शा दुरुस्ती और सीमांकन के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए हैं। साथ ही यह भी स्पष्ट कहा गया कि कॉलम-12 में अब कोई भी प्रविष्टि बिना कलेक्टर की मंजूरी के नहीं की जा सकेगी। इतना ही नहीं, वर्ष 1959 के पश्चात अगर कोई सरकारी जमीन निजी हो गई है तो उसकी भी जांच-पड़ताल की जाएगी। ऐसी भूमियों के संबंध में सभी तहसीलदार और अनुविभागीय अधिकारी अत्यंत सतर्कतापूर्वक कार्य करेंगे, ताकि शासन के हित प्रभावित ना हो सकें। विगत वर्षों में डिर्की व अन्य आधार पर कई सरकारी जमीनें निजी नामों पर चढ़ गई और उनकी रजिस्ट्रियों के साथ-साथ डायवर्शन-नामांतरण भी कर दिए गए। कलेक्टर ने सभी अनुविभागीय अधिकारी / तहसीलदार / नायब तहसीलदार एवं अधीनस्थ राजस्व अधिकारी-कर्मचारियों को मौका भ्रमण करने के निर्देश दिए गए हैं। सभी अपर जिला दण्डाधिकारी को यह निर्देश भी दिए गए हैं कि वे यह सुनिश्चित करें कि राजस्व अधिकारी मौका भ्रमण करते वक्त लोगों की समस्याओं का निराकरण करें तथा शिकायतों का संतुष्टिपूर्वक निराकृत करवाएं। कलेक्टर द्वारा जारी आदेशानुसार यह देखने में आया है कि नामान्तरण आवेदन लगाने के उपरान्त आमजन बटांकन, नक्शा दुरस्ती, सीमांकन आदि के लिए पुन: अलग-अलग चरणों में आवेदन लगाते हैं तथा इस हेतु परेशान भी होते रहते हैं।
राजस्व अधिकारियों को यह निर्देशित किया गया है कि जब कोई आम जन नामान्तरण का आवेदन लगाए तो उसका नामान्तरण का निर्णय लेते समय यह भी निर्देश दें कि, सीमांकन, बटांकन, नक्शा दुरस्ती के साथ-साथ नवीन खसरा नकल तथा नक्शा प्राप्त करने की प्रक्रिया का भी वह आवेदन पूर्ण करें। यथा संभव यह सब मार्गदर्शन राजस्व अधिकारियों को मौका भ्रमण के दौरान सलाह के रूप में भी दिया जाना चाहिये तथा अपने अधीनस्थ अमले से त्वरित कार्यवाही करवाते हुए यह पूर्ण करने हेतु आवश्यक सहयोग भी प्रदान किया जाना चाहिये। आदेशित किया गया है कि कालम 12 में कोई भी प्रविष्ठी बिना कलेक्टर की स्वीकृति के परिवर्तित नहीं की जा सकेगी। सामान्य तौर पर किसी राजस्व न्यायालय में किसी जाँच में आए तथ्यों के आधार पर अथवा राजस्व कर्मचारियों द्वारा मौका निरीक्षण के दौरान मौके पर पाए गए तथ्यों की प्रविष्ठी कैफियत के कालम में दर्ज की जाती है। कैफियत के कॉलम में नवीन प्रविष्ठि करने की स्वतंत्रता पूर्ववत रहेगी, किन्तु उसे परिवर्तित करना है तो उसमें कलेक्टर की लिखित स्वीकृति अनिवार्यत: लेनी होगी। कलेक्टर की जाँच में यह पाया जाता है कि किसी कैफियत के कॉलम में कोई प्रविष्ठी गलत तरीके से की गई है तथा उसका आधार नहीं हैं तो उसमें प्रविष्ठी करने वाले अधिकारी-कर्मचारी के विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही की जायेगी। निर्देशित किया गया है कि वर्ष 1959 में अगर राजस्व अभिलेखों में कोई भूमि शासकीय पाई जाती है तो उन भूमियों के मामलों में विस्तृत जाँच की जिम्मेदारी तहसीलदार की रहेगी तथा न्यायालय पाता है कि बिना किसी आधार पर वह भूमि शासकीय से निजी हो गई हैं तो पूर्ण सुनवाई के उपरान्त उसका प्रतिवेदन संबंधित अनुविभागीय अधिकारी को प्रस्तुत करेंगे, किन्तु साथ ही साथ कैफियत कालम नंबर 12 में उस भूमि के शासकीय होने संबंधी तथ्यों का उल्लेख करते हुए कोई अनुमति नहीं दी जाए।
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