नई दिल्ली (New Delhi) । आखिरकार जद(यू) ने ‘INDIA’ गठबंधन से अपना नाता तोड़ लिया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के समर्थन से एक बार फिर सरकार बना ली है। बिहार में समीकरण बदलने से ‘INDIA’ गठबंधन की चुनौती बढ़ेगी। इस पूरे घटनाक्रम से सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को हुआ है। पार्टी ने जद(यू) और टीएमसी को एक साथ साधने की कोशिश की, पर नाकाम रही। जद(यू) गठबंधन से निकल चुका है और लोकसभा चुनाव में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी पश्चिम बंगाल में एकला चलो का ऐलान कर चुकी है।
कांग्रेस रणनीतिकार मानते हैं कि ‘INDIA’ गठबंधन का खाका मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तैयार किया था। पटना में हुई पहली बैठक बहुत सकारात्मक थी, पर बेंगलुरु में हुई दूसरी बैठक में जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ‘INDIA’ नाम का सुझाव दिया और राहुल गांधी ने इसका समर्थन किया, यह बात नीतीश कुमार को नागवार गुजरी थी।
पार्टी नेता बताते हैं कि नीतीश कुमार ने यह कहकर इस नाम का विरोध किया था कि ‘INDIA’ नाम में एनडीए नाम में शामिल शब्द भी शामिल हैं। पर उनका विरोध बेअसर साबित हुआ।
इसके साथ जाति जनगणना के मुद्दे पर भी नीतीश कुमार और ममता बनर्जी में एक राय नहीं थी। नीतीश कुमार ने जाति जनगणना और ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर ममता बनर्जी पर तंज भी कसा था। वहीं, जाति जनगणना और ओबीसी आरक्षण पर विरोध के चलते ममता बनर्जी नहीं चाहती थी कि नीतीश ‘INDIA’ गठबंधन में कोई अहम जिम्मेदारी संभालें।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि 19 दिसंबर को हुई बैठक में कांग्रेस ने नीतीश कुमार को संयोजक बनाने के लिए कई घटकदलों से बात कर ली और वह बैठक में प्रस्ताव रखने वाली थी, पर बैठक में ममता बनर्जी ने अचानक प्रधानमंत्री पद के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम का प्रस्ताव रखकर पूरा माहौल बदल दिया।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह बात कांग्रेस के लिए भी समझ से परे थी। यही वजह है कि मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह कहते हुए प्रस्ताव टाल दिया कि इस बारे में फैसला चुनाव के बाद किया जाएगा। पर ममता बनर्जी के इस प्रस्ताव ने नीतीश कुमार की तल्खी बढ़ा दी। सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार ने बैठक में कहा था कि इस तरह की बात कहां से आ रही है। इस पर तो कोई चर्चा नहीं हुई थी। इसके बाद नीतीश कुमार बैठक खत्म होने से पहले ही निकल गए और उन्होंने मीडिया से भी कोई बात नहीं की।
इसके बाद कांग्रेस ने एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मनाने का प्रयास किया। राहुल गांधी की अगुआई में भारत जोड़ो न्याय यात्रा की शुरुआत से ठीक एक दिन पहले 13 जनवरी को वर्चुअल बैठक हुई। इसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को संयोजक बनाने का प्रस्ताव रखा गया। इसमें ममता बनर्जी शामिल नहीं हुई थी।
सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी ने सुझाव दिया कि ममता बनर्जी को खबरों से पता चले, इससे गलत संदेश जाएगा। इसलिए, सार्वजनिक ऐलान से पहले इस बारे में ममता बनर्जी से बात कर लेनी चाहिए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे अपनी बेइज्जती के तौर पर लिया।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि जद(यू) ‘INDIA’ गठबंधन से अलग हो चुका है। वहीं, ममता बनर्जी भी खुश नहीं है। तृणमूल कांग्रेस पहले ही अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी है। हालांकि, अभी तक मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ‘INDIA’ गठबंधन नहीं छोड़ा है। पर इतना तय है कि ममता बनर्जी ‘INDIA’ गठबंधन में बरकरार रहती है, तो उनकी मोल-तोल की ताकत बढ़ जाएगी। क्योंकि, कांग्रेस और ‘INDIA’ गठबंधन के घटकदल ममता बनर्जी को ‘INDIA’ गठबंधन में बनाए रखने की हरमुमकिन कोशिश करेंगे।
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