विदेशियों का पैसा… देश में रिश्वत… अडानी ने घोटाला किया… सरकार ने साथ दिया… राहुल गांधी की बांछें खिली… विरोधियों की बोलती खुली… यह तो हुई राजनीति की बात… लेकिन हकीकत यही है… मजदूरी करके कोई कार्पोरेट किंग नहीं बनता…वो दिमाग लगाते हैं… दिमाग चलाते हैं… पूरा देश खरीदकर जेब में डालते हैं… फिर वो नेता हो या अफसर… आम आदमी हो या खास आदमी… जिसकी जितनी हैसियत उसकी उतनी कीमत लगाते हैं… उनकी ख्वाईशों में साजिशें भी होती है….फरमाइशें भी होती है…. सरकार हो या सरकार का दरबार सब उन्हीं के इशारों पर चलते हैं… वो दुनियाभर के दिमाग वालों को पालते हैं, जो हजारों लगाकर अरबों कमाने के नुस्खे मिनटों में बना डालते हैं… फिर वो अमेरिका हो या दुनिया का कोई भी देश… छोटा निवेशक हो या बड़ा हर कोई अमीर बनने के इस खेल में शामिल हो जाता है… अमेरिका इस कूबत पर हैरान रह जाता है… वो निवेशकों को धोखा देने का इल्जाम लगाता है… लेकिन हर देश अपने वक्त और काल में एक न एक ऐसा तिलस्म दिखाता है… कभी देश में टाटा-बिड़ला हुआ करते थे… फिर अंबानी आए… लेकिन अडानी ने अमीरी का एक नया इतिहास रचा… कोई 15-20 साल पहले छोटे-मोटे कारोबार के लिए सरकारी विभागों और मंत्रालयों में चक्कर लगाने वाला… सारे नेताओं के आगे सिर झुकाने वाला… काम मिल जाए तो पैसों की जुगत भिड़ाने वाला और पैसे मिल जाए तो भुगतान की कतार में सिर खपाने वाला गौतम अडानी कई जन्मों की कमाई कुछ दिनों में कर डालता है… और चंद बरसों में टाटा, बिरला, अंबानी जैसे धुरंधरों को धकेलकर अमीरजादों की कतार में सबसे आगे खड़ा हो जाता है तो इसे भाग्य-सौभाग्य नहीं कहा जाता, बल्कि विधाता का वरदान… सत्ता का समाधान और दौलत का विधान कहा जाता है… अडानी खुद शेयर गिराता है और कम कीमत में अपने ही शेयर खरीदकर उनके दाम बढ़ाता है… दौलत का यह कारोबार पल भर में उसे अरबों-खरबों का मालिक बनाता है और सच तो यह है कि इस खेल में भारत हो या अमेरिका… फ्रांस हो या ब्रिटेन… चीन हो या जापान सब शामिल हो जाते हैं… राहुल गांधी तो केवल बतियाते हैं… लेकिन इस खेल में तो विपक्षी राज्यों के मोदी विरोधी नेता भी नजर आते हैं… भारत में जिन राज्यों के अधिकारियों को दो हजार करोड़ की रिश्वत बंटी, उनमें से दो राज्य छत्तीगढ़ और राजस्थान में तो तब उनकी खुद की सरकार थीं, वहीं आंध्र में उनके सहयोगी जगन रेड्डी थे तो तमिलनाडु में डीएमके … क्योंकि अडानी किसी दल के दलदल में नहीं फंसता है, बल्कि सारे दलों को दलदल में डालने की कूबत रखता हैै… अमरिका इसलिए बौखलाता है, क्योंकि ट्रंप हो या बाइडेन कोई नहीं चाहता है कि उनके देश के लोग अडानी की झोली में पैसे डाले… इसलिए जब अडानी के बॉड अमेरिका में खुलते हैं, तब-तब हंगामा मचता है…पिछली बार हिडनबर्ग ने सिर उठाया था तो इस बार अमरिकी अदालत ने बिना किसी जांच-पड़ताल या सबूत के अडानी को मुजरिम बनाया…लेकिन अडानी इस कीचड़ में भी कमल खिलाएगा… उनकी कंपनियों के शेयर लुढक़े तो वो खुद खरीदकर उनके भाव बढ़ाएगा और अमेरिका से मिलने वाले बॉन्ड का पैसा उसे अपने ही शेयरों से मिल जाएगा… थोड़े दिन में हिडनबर्ग की तरह अमरिकी मुकदमा भी फुस्स हो जाएगा… इस पूरे मसले से अडानी तो अलग हो जाएगा… लेकिन भारत उसका बचाव करता नजर आएगा… इस मामले को देश की अस्मिता का सवाल बनाया जाएगा… क्योंकि अडानी यदि आरोपी साबित हो जाएंगे तो हमारा देश भ्रष्ट कहलाएगा… हमारे अधिकारी भ्रष्ट कहलाएंगेे… अब देश में राहुल चीखे-चिल्लाएं… लालू यादव तोहमतें लगाएं… अडानी अडिग ही रहेंगे… वैसे भी लालू-राहुल के अलावा कोई विरोधी अडानी पर उंगली नहीं उठा रहा है… चिंदी चोरी करने वाला मीडिया भी मुंह पर ऊंगली लगा रहा है… क्योंकि अडानी की खदान से हर कोई हीरा चुनता है… मीडिया के चैनल अडानी की खैरात से चलते हैं…हकीकत तो यह है कि भले ही विपक्षी नेता मुंह में छुरी रखते है, लेकिन उसकी बगल में अडानी ही रहते है… इसलिए विरोधी दल का नेता हो या नायक अडानी के इशारे नजर आएंगे… संसद गूंजेंगी मगर कुछ दिनों में सब खामोश हो जाएंगे…
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved