नई दिल्ली: उद्योग मंडल FICCI ने सरकार से आगामी आम बजट में घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर Windfall Tax को खत्म करने की मांग की है. उद्योग मंडल ने कहा है कि इस तरह का टैक्स निवेश आधारित तेल एवं गैस खोज क्षेत्र को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है. उद्योग मंडल ने आम बजट के लिए सरकार को दी सिफारिशों में यह मांग की है. देश ने पहली बार पिछले साल एक जुलाई को Windfall Tax लगाया था. इसके साथ भारत उन देशों में शामिल हो गया था जो ऊर्जा कंपनियों के सामान्य से अधिक मुनाफे पर टैक्स लगाते हैं. उस समय घरेलू कच्चे तेल पर 23,250 रुपये प्रति टन (40 डॉलर प्रति बैरल) का Windfall Tax लगाया गया था.
स्पेशल एक्स्ट्रा एक्साइज ड्यूटी भी हटाई जाए
पेट्रोल, डीजल और एयर टबाईन फ्यूल यानी एटीएफ के निर्यात पर भी नया टैक्स लगाया गया है. प्रत्येक पखवाड़े में इंटरनेशनल लेवल पर कच्चे तेल की कीमतों के आधार पर इसकी समीक्षा की जाती है. उद्योग मंडल फिक्की ने बजट के लिए अपनी सिफारिशों में कहा है कि इस तरह का टैक्स अन्य सभी मौजूदा शुल्कों के अतिरिक्त है. फिक्की ने कहा कि पेट्रोलियम कच्चे तेल पर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (SAED) को हटा दिया जाना चाहिए या यदि असाधारण उपाय के रूप में कुछ समय के लिए इसे जारी रखने की आवश्यकता है, तो इसकी दर को सीमित किया जाना चाहिए. फिक्की ने कहा कि यह विंडफॉल टैक्स अन्य शुल्कों के अतिरिक्त है.
तेल उत्पादकों के लिए दिक्कतें
फिक्की ने कहा कि इसके अलावा windfall tax की गणना प्रति टन उत्पादन के आधार पर की जाती है. इसकी गणना प्राप्त मूल्य के प्रतिशत के हिसाब से नहीं होती. ऐसे में दाम घटने पर तेल उत्पादकों के लिए दिक्कतें आती हैं. फिक्की ने कहा कि यह कर आरएंडडी के निवेश प्रस्तावों को प्रभावित कर रहा है. वेदांता लिमिटेड के समूह मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) सुनील दुग्गल ने कहा कि वर्तमान में, घरेलू कच्चे तेल उत्पादकों पर लगभग 70 फीसदी कर लगाया जाता है. वैश्विक मानकों का पालन करते हुए 35-40 प्रतिशत की कर संरचना इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण निवेश को बढ़ावा देगी.
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