इंदौर, कमलेश्वर सिंह सिसोदिया। कोयले और पानी के अलावा सौर और पवन ऊर्जा से बिजली उत्पादन लगातार बढ़ता जा रहा है। धार जिले की बदनावर तहसील में प्रदेश के सबसे बड़े पवन ऊर्जा से बिजली उत्पादन शुरू हो गया है और यहां की बिजली सांवेर तहसील के एक ग्रिड पर आना शुरू हो गई है।
तकनीक का साथ मिल जाए तो तरक्की को चार चांद लग जाते हैं। हवाओं से बिजली पैदा करने में पवन ऊर्जा का महत्वपूर्ण स्थान है। धार जिले के बदनावर के पास 3 जिलों (धार, उज्जैन, रतलाम ) की पहाडिय़ों पर विशालकाय 50 मीटर ऊंचाई की पवन चक्कियां लगाई गई हैं। इन पवन चक्कियों से तकरीबन 300 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा सकेगा, जो प्रदेश में अब तक का सबसे ज्यादा पवन ऊर्जा से बिजली उत्पादन एक ही स्थान पर होने वाली यूनिट है।
शुरुआती दौर में यहां उत्पादित हो रही बिजली को 70 किलोमीटर दूर बिजली लाइन के माध्यम से एकत्रित किया जा रहा है और इसका उपयोग भी हो रहा है। इंदौर जिले की सांवेर तहसील के हतुनिया ग्रिड पर बदनावर की हवाओं से पवन ऊर्जा के साथ जो करंट बन रहा है, वह पहुंचना शुरू हो गया है। आगे जरूरत के अनुसार यहां जो बिजली बनेगी वह इंदौर शहर एवं देश के संस्थान आपूर्ति नियमों के अनुसार स्थानों पर भी पहुंचाई जा सकेगी।
इंदौर के समीप पवन ऊर्जा
इंदौर के समीप पवन ऊर्जा का उत्पादन हो तो रहा है लेकिन इसमें 25 से 40 मेगावाट तक की क्षमता है जिसमें पीथमपुर का खेड़ा, धार का तोरनोद व राजगढ़ ,देवास का जाम गोद,आगर- रतलाम के समिप के ग्रामीण क्षेत्रों में पवन ऊर्जा से बिजली का उत्पादन हो रहा है बदनावर के पास जो पवन चकिया लगाई गई हैं इन से तकरीबन 300 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो सकेगा प्रदेश में पवन ऊर्जा से 500 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है
अत्याधुनिक तकनीक, उलट दिशा की हवा का हो रहा उपयोग
बदनावर के पास जो पवन ऊर्जा के विशाल काय पंखे लगाए गए हैं, उनकी खासियत यह है कि यह हवा के माध्यम या विपरीत दिशा से आने पर भी पंखुडिय़ों को घुमाने में सहायक होते हैं, यानी यहां बिजली का उत्पादन लगातार होने की संभावनाएं रहती हैं।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved