राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार और संगठनात्मक नियुक्तियों पर अब जल्द काम आगे बढ़ने की उम्मीद दिखाई देने लगी है। कांग्रेस की सरकार वाले राज्यों में राजस्थान ही ऐसा बचा है, जहां के आंतरिक मतभेदों को सुलझाना शेष है। प्रदेश में अब जल्द ही सचिन पायलट और उनके खेमे के नेताओं की मांगों पर एक्शन लेने की तैयारी है। सचिन पायलट की 17 सितंबर को पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से दिल्ली में हुई मुलाकात के बाद अब जल्द फैसलों की संभावना जताई जा रही है। पंजाब घटनाक्रम के बीच हुई इस मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है। प्रदेश प्रभारी अजय माकन भी कह चुके हैं कि सचिन पायलट की जिम्मेदारी पर फैसला आलाकमान को करना है।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस प्रभारी माकन 28 और 29 सितंबर को प्रदेश के दो दिवसीय दौरे पर आ रहे हैं। वे इस दौरान प्रदेश में होने वाले दो उपचुनाव वल्लभनगर और धरियावद क्षेत्र में जाकर स्थानीय कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर पार्टी की स्थिति को जानेंगे। प्रभारी माकन का यह दौरा निश्चित रूप से अहम माना जा रहा है।
भारतीय जनता पार्टी की तरह ही चुनावों से ठीक पहले पंजाब में नेतृत्व परिवर्तन के कांग्रेस के फैसले से राजस्थान में हलचल मचा दी है। हालांकि विधायकों के समर्थन को लेकर राजस्थान में पंजाब जैसी कोई परिस्थितियां वर्तमान में दिखाई नहीं दे रही हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को प्रदेश में सौ से अधिक विधायकों का समर्थन प्राप्त है फिर भी कांग्रेस हाईकमान राजस्थान को लेकर फैसला लेने से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ठीक होने का इंतजार कर रहा है। संभवतः जल्द ही मुख्यमंत्री गहलोत को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी दिल्ली बुलाकर चर्चा कर सकती हैं।
प्रदेश में केबिनेट मंत्री और पंजाब के सह प्रभारी हरीश चौधरी भी कह चुके है कि जैसे ही गहलोत का विमान दिल्ली लैंड करेगा, समझ लीजिएगा कि मंत्रिमंडल फेरबदल हो गया। प्रदेश प्रभारी माकन ने भी गत सप्ताह खुलासा किया था कि यदि मुख्यमंत्री गहलोत अस्वस्थ नहीं होते तो अब तब मंत्रिमंडल फेरबदल हो चुका होता। फिलहाल अब मुख्यमंत्री गहलोत सक्रिय होते दिखाई दे रहे हैं। स्वस्थ होने के बाद जहां उन्होंने मंगलवार को भर्ती, नियुक्ति, मेडिकल हेल्थ, कानून व्यवस्था और भत्तों में बढ़ोतरी से जुड़े करीब दस प्रस्तावों को मंजूरी दी वहीं बुधवार को मंत्रिमंडल और मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद जल्द ही प्रदेश के दौरे के कार्यक्रम को अंतिम रूप दे सकते हैं।
इधर प्रदेश कांग्रेस से जुड़े नेताओं ने बताया कि बगावत के लगभग एक साल बाद सचिन पायलट को संगठन में जिम्मेदारी देना लगभग तय हो गया है। पंजाब के घटनाक्रम के बाद पायलट समर्थक भी अनावश्यक बयानबाजी से बच रहे हैं, जबकि वे अबतक मुखर होकर विरोध करते रहे हैं। अब पायलट के समर्थक उन्हें सीएम या प्रदेशाध्यक्ष बनाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन फिलहाल उन्हें संगठन में राष्ट्रीय स्तर पर पद देने के बारे में चर्चा है। पायलट खेमे के विधायकों द्वारा वर्तमान में चुप्पी साधने से लगता है कि फैसले की घड़ी नजदीक है। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता आचार्य प्रमोद कृष्णन ने भी एक ट्वीट कर राजस्थान की सियासत को और हवा दे डाली है। आचार्य ने अपने ट्वीट में कहा कि पंजाब की हवायें “राजस्थान” और “छत्तीसगढ़” का “मौसम” भी बिगाड़ सकती हैं। इसके मायने यहीं लगाए जा रहे हैं कि प्रदेश में शीघ्र बदलाव होगा।
(लेखक हिन्दुस्थान समाचार से संबद्ध हैं।)
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