उज्जैन। महाकाल मंदिर के पीछे रूद्र सागर में स्थित विक्रम के टीले पर लगे पत्थर समय के साथ गिरने लगे हैं, जो टीले की मजबूती को धीरे-धीरे कर कमजोर कर रहे हैं। बारिश के चलते रुद्रसागर में पानी का स्तर बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में खतरा और भी अधिक रहेगा। सवाल उठ रहा है कि क्या महाकाल विस्तारीकरण में यह टीला बच पाएगा। जिम्मेदारों को चाहिए कि तुरंत रिपेयरिंग का कार्य कराया जाए।
महाकाल मंदिर के पीछे स्थित रुद्रसागर के बीचोंबीच प्राचीन सम्राट विक्रमादित्य का टीला बना हुआ है। सिंहस्थ 2016 में हुए निर्माण कार्य में इस टीले का भी जीर्णोद्धार किया गया था तथा राजा विक्रमादित्य की विशाल प्रतिमा यहाँ पर स्थापित की गई थी। उस दौरान टीले को चारों और से पक्के पत्थरों से जोड़कर मजबूती प्रदान की गई थी। आसपास आकर्षक रैंप, विद्युत सज्जा की गई थी, परंतु रखरखाव के अभाव में यह टीला अपनी मजबूती धीरे-धीरे खो रहा है, क्योंकि जो पत्थरों की जुड़ाई कर इस टीले को चारों ओर से मजबूती प्रदान की गई थी वह पत्थर कुछ जगहों से निकलकर रुद्रसागर में गिर गए हैं। अभी मानसून का सीजन है तथा इस दौरान रुद्रसागर का वाटर लेवल बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में यहाँ पर लगातार पानी भरा हुआ रहेगा तथा जो पत्थर गिर गए हैं, उन जगहों से पानी रिस कर मिट्टी से बने टीले के अंदर तक पहुँचेगा। जिम्मेदारों को चाहिए कि महाकाल मंदिर विस्तारीकरण इतना भव्य रूप में किया जा रहा है। रूद्र सागर में स्थित प्राचीन विक्रम के टीले की ओर भी ध्यान दिया जाए तथा आवश्यक रिपेयरिंग आदि का काम कराया जाए, ताकि हम अपने प्राचीन धरोहर को लंबे समय तक संजोए हुए रख सके।
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