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    महू से उषा का होगा पलायन या कायम रहेगा डेरा..?

  • August 31, 2023

    – भाजपा की हैट्रिक के बाद चौथी बार सीट पर कब्जा बनाए रखना चुनौती

    – कांग्रेस से दरबार फिर तैयारी में

    इंदौर, संजीव मालवीय। हिन्दुत्व के पक्ष में लगातार अपने बयानों से सुर्खियों में रहने वाली उषा ठाकुर (Usha Thakur) का डेरा पहले एक नंबर विधानसभा में जमा, फिर वही डेरा उठाकर संगठन ने 3 नंबर में जमवा दिया। 2018 में फिर यही डेरा शहरी क्षेत्र से बाहर कर महू में बसा दिया गया। तीनों ही स्थानों पर डेरा डालकर विधायक (MLA) रहने वाली ठाकुर के बारे में कहा जा रहा है कि अब यहां से एक बार फिर उनका पलायन तय है। उन्हें पार्टी या तो कोई ऐसी विधानसभा में भेज सकती है, जिसे जीतना भाजपा के लिए कठिन है या फिर संगठन में उनकी वापसी भी हो सकती है और उन्हें कोई बड़ा पद दिया जा सकता है।


    इस बार महू विधानसभा (Mhow Vidhansabha) में स्थानीय उम्मीदवार का मुद्दा हावी है। 2008 में कांग्रेस से कैलाश विजयवर्गीय द्वारा सीट छीनने के बाद इस सीट पर वे लगातार 10 साल विधायक रहे और इस सीट को ऐसा कर दिया कि इस पर भाजपा लगातार तीन बार से जीतती आ रही है। इसका फायदा उषा ठाकुर को मिला और वे 2018 में इस सीट पर विजयी हुईं। हालांकि अब अंदर ही अंदर उनका विरोध किया जा रहा है। उनके अपने ही विरोध करने पर उतारू हैं। ठाकुर ने सीधे तौर पर तो नहीं कहा है कि वे महू छोड़ रही हैं, लेकिन जो हालात दिखाई दे रहे हैं, उससे पार्टी उन्हें किसी और सीट पर उतार सकती है। 2003 में पहली बार एक नंबर विधानसभा से विधायक रहे भल्लू यादव को हराकर विधायकी की शुरुआत करने वाली ठाकुर को 2008 में टिकट नहीं मिला था, लेकिन उसके बाद 2013 में उन्होंने कांग्रेस के अश्विन जोशी को हराकर तीन नंबर की सीट भाजपा की झोली में डाली और 2018 में उन्हें महू भेज दिया गया, जहां से वे विधायक हैं। उन्हें मुख्यमंत्री ने पर्यटन, धर्मस्व एवं आध्यात्म विभाग का मंत्री बनाया। इसके पहले ठाकुर 1990 में पार्षद रहीं। इस सीट पर भाजपा से ही चार दावेदार हैं।

    कांग्रेस से दरबार फिर आक्रामक मूड में

    अपनी दो बार की विधायकी कैलाश विजयवर्गीय के हाथों गंवाने वाले अंतरसिंह दरबार पिछली बार भी चुनाव हार गए थे। तीन बार इस सीट से दूर दरबार इस बार आक्रामक नजर आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि उन्हें फिर से कांग्रेस की ओर से चुनाव लडऩे की हरी झंडी मिल चुकी है। इसके अलावा पिगडम्बर में रहने वाले जीतू ठाकुर भी महू से दूसरे दावेदार के रूप में हैं।

    महू विधानसभा में अब तक के विधायक
    1993 भेरूलाल पाटीदार (भाजपा)
    1998 अंतरसिंह दरबार (कांग्रेस)
    2003 अंतरसिंह दरबार (कांग्रेस)
    2008 कैलाश विजयवर्गीय (भाजपा)
    2013 कैलाश विजयवर्गीय (भाजपा)
    2018 उषा ठाकुर (भाजपा)

    भाजपा के नेता उठा रहे हैं स्थानीय का मुद्दा
    स्थानीय उम्मीदवार को टिकट देने के लिए भाजपा के नेताओं ने झंडा बुलंद कर रखा है। फिलहाल यहां से राज्यसभा उम्मीदवार कविता पाटीदार भी एक दावेदार के रूप में सामने हैं तो युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष मनोज ठाकुर ने भी दावेदारी ठोंक रखी है। ठाकुर के पास युवाओं की एक बड़ी फौज हैं और वे लंबे समय से पार्टी में सक्रिय हैं। इसके अलावा कंचनसिंह चौहान और रामकिशोर शुक्ला जैसे नाम भी टिकट की दौड़ में बताए जा रहे हैं।

    विजयवर्गीय ने जीत का अंतर बढ़ाया तो उषा ने घटाया
    2008 में कैलाश विजयवर्गीय ने दरबार को 9 हजार 791 वोट से हराया था। इसके बाद फिर विजयवर्गीय इस सीट पर पहुंचे और 2013 में 12 हजार 216 मतों से दरबार को हराया। यानि पिछली बार से बढ़त मिली, लेकिन 2018 में हुए चुनाव में यह अंतर घटकर 7 हजार 157 पर आ गया। कहा तो यह जा रहा है कि इस बार महू सीट भी चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि भाजपा के अंदर ही घमासान है।

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