नई दिल्ली: ग्लोबल मार्केट (Global Wheat Market) में गेहूं की सप्लाई का संकट अभी बना हुआ है. इस वजह से इंटरनेशनल लेवल पर इसके दाम भी चढ़े हुए हैं. अब रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से इस बार जुलाई में ये संकट और गहराने की आशंका है. इसकी वजह उत्तरी गोलार्ध (Northern Hemisphere) के ज्यादातर हिस्सों में गेहूं की कटाई का इसी दौराना होना है. साथ ही गेहूं उत्पादन (Wheat Producers) के हिसाब से देखें तो चीन, रूस, अमेरिका, कनाडा, फ्रांस और यूक्रेन जैसे देश इसी गोलार्ध में आते हैं.
रूस-यूक्रेन युद्ध ने बढ़ाई परेशानी
रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से गेहूं की सप्लाई बाधित हुई है. इस वजह से ग्लोबल मार्केट में गेहूं की सप्लाई प्रभावित हुई है और कीमतों में भी तेजी आई. अब देखना ये होगा कि नए शिपमेंट को रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध किस तरह से प्रभावित करता है, क्योंकि अमेरिका और रूस जैसे देशों में जून से अगस्त के बीच जो गेहूं की कटाई होती है. उसके बाद ही गेहूं के निर्यात में तेजी आती है.
रूस में कटने वाली है गेहूं की फसल
यूक्रेन दुनिया में सबसे अधिक गेहूं निर्यात करने वाले देशों में से हैं. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, रूस के हमले के बाद यूक्रेन को गेहूं के निर्यात में मुश्किलों का सामना करना पड़ा है. हालांकि, उसने रेल और नदी के रास्ते से निर्यात जारी रखने की कोशिश की है. यूक्रेन में अगस्त के आखिर में गेहूं की कटाई शुरू होती है. इस बीच अब रूस में भी गेहूं की फसल कटने वाली है. लेकिन युद्ध की वजह लगे प्रतिबंध के चलते रूस कितना गेहूं बेच पाएगा, ये एक अहम सवाल है.
काला सागर पर सभी की नजरें
काला सागर से होने वाले ट्रेड की गति पर इस बार सभी की नजरें रहेंगी. इस रूट से ऐतिहासिक रूप से वैश्विक व्यापार का एक चौथाई हिस्सा तय होता है. इस समय ग्लोबल मार्केट में गेहूं की कीमतें सामान्य से काफी अधिक हैं. इस वजह से महंगाई दर में तेजी देखने को मिल रही है. रूस से गेहूं का निर्यात अभी तक सामान्य बना हुआ है, क्योंकि उसने यूक्रेन पर आक्रमण किया है. रूस अपने गेहूं को पारंपरिक ग्राहकों के पास जा रहा है. आने वाले महीनों में साफ हो जाएगा कि रूस कितनी बड़ी मात्रा में गेहूं बेच सकता है.
व्यापार में बदलाव के संकेत
यूक्रेन के निर्यात की संभावनाएं अभी पूरी तरह खुली नहीं हैं. समुद्री व्यापार को फिर से शुरू करने की दिशा में बहुत कम प्रगति हुई है. टर्मिनल बंद होने से अनाज का शिपमेंट उनकी क्षमता के आधे से भी कम रहने का खतरा है. काला सागर से होने वाले किसी भी नुकसान का मतलब है कि आयातक यूरोपीय संघ जैसे वैकल्पिक एक्सपोर्टर पर अधिक भरोसा करेंगे. व्यापार में बदलाव के संकेत मिल रहे हैं. मिस्र ने इस सप्ताह 3,50,000 टन फ्रेंच गेहूं की बुकिंग की है.
मिस्र ने भारत से खरीदा गेहूं
अफ्रीकी देश मिस्र ने हाल ही भारत से 1,80,000 टन गेहूं खरीदने का करार किया है. दुनिया के सबसे बड़े गेहूं आयातकों में से एक मिस्र ने हाल के वर्षों में काला सागर के रास्ते से ज्यादातर अपने अनाज खरीदे हैं. लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से ये रूट प्रभावित हुआ है. इस वजह से भारत के लिए व्यापार के नए रास्ते खुले हैं. मिस्र भारत से 5 लाख टन गेहूं के आयात पर सहमत हुआ था, लेकिन फिलहाल सरकार गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखा है.
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