पिछले करीब दो सालों से दुनियाभर में लाखों लोगों की मौतों की जिम्मेदार कोरोना महामारी का अभी तक कोई ठोस इलाज नहीं मिला है। सारी दुनिया के वैज्ञानिक (Scientist) इस वायरस की काट ढ़ूढने में लगे हैं। लेकिन अभी तक इस वायरस से केवल बचाव के उपाय के तौर पर वैक्सीन से ज्यादा कुछ हाथ नहीं लगा है। कई देशों में कोरोना के ठोस इलाज और दवा के लिए रिसर्च की जा रही है, लेकिन जैसे ही ये रिसर्च (Research) किसी नतीजे पर पहुंचने वाली होती है, कोरोना का वायरस रूप बदल-बदलकर हमला कर देता। पिछले करीब दो सालों में कोरोना के कई वैरिएंट्स ने लोगों की जान ली है। इसलिए कोरोना से मुकाबले के लिए ज्यादा प्रभावी तरीका खोजने के प्रयास में निरंतर शोध किए जा रहे हैं।
अखबार में छपी न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, इसी कवायद में भारतवंशी समेत अमेरिकी रिसर्चर्स की टीम ने एक नई स्टडी की है। उन्होंने इस स्टडी के जरिए पहली बार यह साबित किया है कि कोविड वैक्सीन और पूर्व के संक्रमण से, कोरोना के दूसरे प्रकारों के खिलाफ व्यापक इम्यूनिटी (immunity) बन सकती है।
स्टडी के इस निष्कर्ष से ऐसी एक सार्वभौमिक कोरोना वैक्सीन (universal corona vaccine) के विकास की राह खुल सकती है, जो भविष्य की महामारियों से मुकाबले में उपयोगी हो सकती है। रिसर्चर्स ने यह निष्कर्ष कोरोना वैक्सीन लगवाने वाले सामान्य लोगों और कोरोना पीडि़तों पर की गई स्टडी के आधार पर निकाला है। इन लोगों में इम्यूनिटी रिस्पांस का मूल्यांकन किया गया।
उन्होंने बताया कि स्टडी में मौजूदा कोरोना महामारी का कारण बनने वाले सार्स-कोव-2, वर्ष 2012 में मिडल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (MERS) की वजह बने मर्बेकोवायरस (Merbecovirus) और 2003 में सिवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (SARS) की समस्या खड़ी करने वाले सार्स-कोव-1 वायरसों पर गौर किया गया। ये तीनों कोरोनावायरस क्लास से ताल्लुक रखते हैं।
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