जबलपुर। वेदिका की हत्या के आरोपी प्रियांश को हाईकोर्ट से राहत न मिलने के बाद अब सबकी नजर आगे की प्रक्रिया पर है। हाईकोर्ट ने गुरुवार को प्रियांश के परिवार की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें जिला प्रशासन के मकान तोडऩे के फैसले पर राहत चाही गयी थी। जिला प्रशासन द्वारा नोटिस जारी होने के बाद परिवार कोर्ट चला गया था। कोर्ट ने कहा है कि न केवल प्रियांश का मकान बल्कि वो पूरी कॉलोनी ही अवैध रूप से बनायी गयी है।
अब तक क्या हुआ
प्रियांश के हाथों चली गोली से गंभीर रूप से घायल वेदिका ने जब अस्पताल में दम तोड़ दिया। युवा कांग्रेस के हंगामे के बादनगर निगम ने प्रियांश के मकान को तोडऩे का आदेश जारी कर दिया। लेकिन प्रियांश के पिता लीलाधर विश्वकर्मा ने राहत की गुहार लगाते हुये हाईकोर्ट पहुंच गये,जहां से उन्हें राहत नहीं मिल सकी। आरोपित है कि भाजपा से जुड़े होने के कारण प्रियांश के मकान को बचाने के लिये राजनीतिक दबाव से काम लिया गया।
आगे क्या हो सकता है
प्रक्रिया के अनुसार, नगर निगम को एक बार फिर नोटिस जारी करना होगा तब जाके मकान तोडऩे के लिये बुल्डोजर ले जाया जा सकेगा। इधर, विश्वकर्मा परिवार के पास हाईकोर्ट से ठुकराए जाने के बाद आगे की अदालत में जाने का विकल्प है। याचिकाकर्ता को एक निश्चित समय-सीमा के भीतर उच्च अदालत में जाना होता है, लेकिन क्या नगर निगम इस समय-सीमा के पहले नोटिस जारी कर बुल्डोजर चला सकता है। जानकारों का मानना है कि कानूनी दांव-पेंच का सिलसिला जारी रहेगा।
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