नई दिल्ली(new Delhi)। राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की भारत जोड़ो यात्रा मंगलवार सुबह से एक बार फिर शुरू हो गई। यह यात्रा इस बार उस गढ़ से गुजर रही है जो किसानों का गढ़ माना जाता है। सियासी जानकार मान रहे हैं कि राहुल गांधी इस यात्रा से जुड़ने वाले किसान और किसान आंदोलन में शामिल बड़े संगठनों के नेताओं और राजनीतिक संगठनों से मिलने वाले समर्थन से लोकसभा के चुनावों में बहुत हद तक सियासत (politics) की तस्वीर बदलने की कोशिश होगी। हालांकि जिन राजनीतिक दलों को राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में अपने साथ जोड़ने के लिए पत्र लिखा था उनमें से फिलहाल तो कोई संगठन सामने नहीं आया है।
भारत जोड़ो यात्रा पश्चिमी उत्तर प्रदेश से गुजर रही
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) पश्चिमी उत्तर प्रदेश के उस जिले से होकर गुजर रही है जहां से किसान आंदोलन (peasant movement) की शुरुआत हुई थी। राजनैतिक विश्लेषक एक के तोमर कहते हैं कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा गाजियाबाद, बागपत, बड़ौत ,शामली और कैराना जैसे इलाकों से होते हुए हरियाणा और पंजाब (Haryana and Punjab) में एंट्री करेगी। तोमर कहते हैं कि विपक्षी दलों की सियासी जमीन को उर्वरा बनाने के लिहाज से यह क्षेत्र बहुत मुफीद माना जा रहा है। वह भी तब जब देश में एक बड़े किसान आंदोलन की अगुवाई इन्हीं जिलों शहरों और प्रदेशों के किसान नेताओं ने की थी। तोमर कहते हैं कि राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी को इस बात का बखूबी अंदाजा है कि वह जितना यहां के लोगों से मिलकर अपने आंदोलन के बारे में बता सकेंगे, वह 2024 में होने वाले लोकसभा के चुनावों के लिहाज से बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है।
कांग्रेस को हो सकता है फायदा
सियासी जानकार बताते हैं कि जिन इलाकों से अगले कुछ दिनों में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा निकलने वाली है वह सियासी रूप से बहुत कुछ बदलने की क्षमता रखती है। वरिष्ठ पत्रकार शकील रिजवी कहते हैं कि कांग्रेस की योजना भी कुछ इसी तरीके की है कि वह इन राज्यों में किसानों के मुद्दे, किसानों की बातचीत और किसान आंदोलन में महीनों दिल्ली के बॉर्डर पर बैठे रहे लोगों से मिलकर उनको कुछ ऐसा भरोसा दें जिससे 2024 में उनको फायदा हो सके। कांग्रेस पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है की राहुल गांधी की उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब की यात्रा के दौरान उन सभी पीड़ितों से भी मिलने की योजना है जिनके परिवार वाले दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन करते-करते चल बसे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से किसान आंदोलन में शामिल लोगों से मिलना पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
राहुल ने सियासी समीकरणों को साधना शुरू किया
दरअसल राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश में शुरू होने वाली अपनी यात्रा से पहले ही सियासी समीकरणों को साधना शुरू कर दिया था। राहुल गांधी ने जयंत चौधरी को चिट्ठी लिखकर अपनी यात्रा में शामिल होने के लिए कहा था। राजनीतिक विश्लेषक हरिओम सिंह कहते हैं कि सिर्फ राहुल गांधी ने जयंत चौधरी को चिट्ठी ही नहीं लिखी बल्कि जब वह दिल्ली में अलग-अलग बड़े नेताओं के समाधि पर गए तो चौधरी चरण सिंह की समाधि पर जाकर भी राहुल गांधी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा के किसानों को एक बड़ा संदेश भी दिया था। चौधरी कहते हैं कि भले ही जयंत चौधरी उनकी इस यात्रा में शामिल ना हो लेकिन राहुल गांधी ने जयंत को बुलावा भेजकर जो संदेश किसानों को देना था वह पहुंचा दिया है।
कभी पश्चिमी उत्तर प्रदेश था कांग्रेस का गढ़
कभी कांग्रेस का गढ़ रहा पश्चिमी उत्तर प्रदेश कांग्रेस के हाथों से फिसला हुआ है। सियासी समीकरणों को देखते हुए ही राहुल गांधी की ओर से मायावती और अखिलेश यादव को भी चिट्ठी लिखी गई थी। दोनों नेताओं ने राहुल गांधी की निमंत्रण पर धन्यवाद देते हुए भारत जोड़ो यात्रा की सफलता के लिए शुभकामनाएं भी दी है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश से किसानों के आंदोलन में शामिल रहे नेता अवधेश चौधरी कहते हैं कि राहुल गांधी की यात्रा में वैसे तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान जुटे हुए हैं, लेकिन जब यह यात्रा इन जिलों से होकर गुजर रही है तो उसका असर भी दिखना चाहिए। कांग्रेस पार्टी से जुड़े हुए वरिष्ठ नेता कहते हैं कि किसानों के आंदोलन में शामिल अलग-अलग संगठनों समेत कांग्रेस की जिला इकाई से मिलकर स्थानीय लोगों ने कांग्रेस की भारत जुड़े यात्रा में शामिल होने के लिए सहमति भी दी है।
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