नई दिल्ली: दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (South Asian Association for Regional Cooperation) का अस्तित्व अब सिर्फ डॉक्यूमेंट्स (Documents) तक ही सीमित रह सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इंडिया (India) ने मंगलवार को वो प्रस्ताव ठुकरा (Rejected) दिया, जो कि सार्क को रिवाइव करने से जुड़ा था. सबसे रोचक बात है कि सार्क को रिवाइव करने से जुड़ी पहल नेपाल, बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे भारत के पड़ोसी मुल्कों की ओर से की गई थी. तीनों देश इसे रिवाइव करना चाहते थे. न्यूयॉर्क में नेपाल की ओर से सार्क के विदेश मंत्रियों की मीटिंग के दौरान गुजारिश की गई थी. हालांकि, इंडिया ने इसे ठुकरा दिया.
भारत की तरफ से दो टूक कह दिया गया कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद की रोकथाम के लिए कोई जिम्मेदारी भरा कदम नहीं उठाता है तब तक वह ऐसी कोई बैठक को अटेंड नहीं करेगा. दरअसल, सार्क मीटिंग या सम्मेलन तब तक नहीं हो सकता है जब तक सभी सदस्य देश राजी न हों. अगर एक भी देश/सदस्य उसमें हिस्सा लेने से मना कर देता है तो बैठक नहीं होती है.
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की 79वीं बैठक को संबोधित करते हुए भी पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर घेरा था. एस जयशंकर ने कहा था कि पाकिस्तान की आतंक नीति कभी सफल नहीं हो सकती और पाकिस्तान की जीडीपी सिर्फ कट्टरता में ही काम आती है.
दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) दक्षिण एशियाई देशों का संगठन है जिसकी स्थापना आठ दिसंबर, 1985 को ढाका में हुई थी. सार्क के सदस्य देशों में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका शामिल हैं. सार्क के सदस्य देशों के बीच व्यापार बढ़ाने के लिए संगठन की स्थापना की गई और सार्क का सचिवालय नेपाल के काठमांडू में स्थित है.
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