नई दिल्ली: यूक्रेन में शांति बहाली के लिए सऊदी अरब भी आगे आया है. अगले महीने इस मसले पर एक बड़ी मीटिंग रखी है. भारत को भी शांति बहाली पर बातचीत के लिए निमंत्रण दिया गया है. 30 देशों के इस मीटिंग में शामिल होने की उम्मीद है. 5-6 अगस्त को बैठक शेड्यूल है. संबंधित देशों के राजदूत शिरकत करेंगे. रूस को बैठक से दूर रखा गया है. खासतौर पर पश्चिम समर्थक देशों को निमंत्रण दिया गया है.
इंडोनेशिया, मिस्र, मेक्सिको, चिले, जर्मनी और जांबिया समेत दर्जनों देशों के राजदूत बैठक में पहुंचेंगे. माना जा रहा है कि यूक्रेन में शांति बहाली के लिए सऊदी अरब की ये बैठक मददगार साबित होगी. रूस भी यूक्रेन शांति बहाल करने के पक्ष में है लेकिन उसकी कुछ शर्तें हैं, जिसे यूक्रेन मानने से इनकार करता है. यूक्रेन के बड़े हिस्से पर रूस ने कब्जा किया है, और पुतिन एडमिनिस्ट्रेशन का कहना है कि अगर उन क्षेत्रों पर कब्जे को मान्यता मिलती है तो वे शांति बहाली के लिए तैयार हैं.
अब बड़ा सवाल है कि इस बैठक में कितने देश शामिल होंगे. शांति पर एक बैठक पहले कोपेनहेगन में भी आयोजित की गई थी. इस बैठक में कई देशों के प्रतिनिधियों ने शिरकत की थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ब्रिटेन, साउथ अफ्रीका, पोलेंड और यूरोपीय यूनियन ने मीटिंग अटेंड करने की पुष्टि की है. शांति पर बैठक ऐसे समय में हो रही है जब यूक्रेन ने रूस की राजधानी मॉस्को पर दो ड्रोन स्ट्राइक किया है. राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन इससे तिलमिलाए हुए हैं. ऐलान कर चुके हैं कि वह नाटो के साथ जंग के लिए तैयार हैं.
राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन भी शांति के पक्ष में
रूस-अफ्रीका समिट में भी यूक्रेन में शांति बहाली पर बातचीत हुई है. राष्ट्रपति पुतिन ने खुद भी कहा कि वह इसके पक्ष में तो हैं लेकिन यूक्रेन अक्रामक हो रहा है. अगर यूक्रेन अपनी अक्रामकता दिखाएगा तो हम भी एक्शन लेंगे. हाथ पर हाथ डालकर नहीं बैठ सकते. दरअसल, अफ्रीकी नेताओं ने पुतिन को एक पीस प्लान सौंपी है. इसमें खासतौर पर रूस के हित की ही बात की गई है. यूक्रेन के हित को नजरअंदाज किया गया है.
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