इंदौर। इंदौर-बुधनी रेलवे लाइन के लिए सांवेर क्षेत्र के कई गांवों की जमीनें अधिग्रहित की जा रही है और अनुविभागीय अधिकारी द्वारा मुआवजा राशि लिए जाने के नोटिस भी भिजवाए गए हैं। क्षेत्र के किसानों का दो टूक कहना है कि उनके बाप-दादाओं की पुस्तैनी जमीन को कौडिय़ों के मोल नहीं लुटने देंगे और जरूरत पड़ी तो दिल्ली, पंजाब, हरियाणा की तर्ज पर बड़ा आंदोलन किया जाएगा। 4 गुना मुआवजा मिले बिना कोई भी किसान एक इंच भी जमीन नहीं देंगे। कल भी ग्राम पंचायत लसूडिय़ा के पूर्व सरपंच ठाकुर महिपाल सिंह के निवास पर कई किसान जुटे और वहां बैठक में निर्णय लिया कि अन्नदाताओं के साथ किसी तरह का अन्याय नहीं होने देंगे। इतना ही नहीं, अलग-अलग क्षेत्रों में किसानों की बैठकें भी हो रही है।
पूर्व जनपद सदस्य और किसान नेता हंसराज मंडलोई ने बताया कि रेलवे लाइन के लिए जिन किसानों की जमीनें अधिग्रहित की जा रही है उन सभी में आक्रोश है और वे सस्ते में अपनी जमीन नहीं देना चाहते। कुछ होशियार जमीन मालिकों ने अधिकारियों के साथ सांठ-गांठ कर टीएनसीपी से अनुमति प्राप्त करवा रखी है, जिसके चलते उनको को तो चार गुना तक मुआवजा मिल रहा है, लेकिन अन्य भोले-भाले किसानों को कम मुआवजा दिया जा रहा है। इस तरह के भेदभाव के चलते किसानों ने बड़े आंदोलन की भी तैयारी कर ली है और कहा कि बिना चार गुना मुआवजे के एक इंच जमीन नहीं दी जाएगी। ग्राम पंचायत डकाच्या के युवा सरपंच लखन पटेल का कहना है कि हमें हमारी जमीन का जो बाजार मूल्य चल रहा है उससे चार गुना अधिक मुआवजा चाहिए, क्योंकि शासन ने कलेक्टर गाइडलाइन कम दर्शा रखी है। दूसरी तरफ श्री मंडलोई ने कहा कि भारत पेट्रोलियम डिपो के लिए भी कम मुआवजे के लिए जमीन अधिग्रहित कर ली थी और इसी तरह हतुनिया में बनाए बड़े ग्रीड और हाईटेंशन लाइन में भी किसानों की जमीनें चली गई और नाम मात्र का मुआवजा मिला। मगर अब यह अन्याय नहीं होने देंगे।
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