लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में समाजवादी पार्टी के विधायकों की बैठक खत्म हुई है. जहां सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव ने विधायकों को निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि ‘रामचरितमानस पर पार्टी कोई चर्चा नहीं करेगी, किसी धार्मिक मुद्दे पर सपा चर्चा’ नहीं करेगी. वहीं, सपा विधायक शिवपाल सिंह यादव रविवार को विधानमंडल दल की बैठक में शामिल होने के लिए पार्टी कार्यालय पहुंचे. इस दौरान मौजूद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल सहित सभी विधायकों ने उनका स्वागत किया.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सपा विधानमंडल दल की बैठक में तय किया जाएगा कि विधानसभा सत्र के दौरान पार्टी किन मुद्दों को प्रमुखता से उठाएगी. हालांकि, अभी कानपुर देहात मामले पर कानून व्यवस्था, जातीय जनगणना आदि मुद्दों को खास तौर पर उठाया जाएगा. साथ ही रामचरित मानस पर चल रहा विवाद भी सदन में तूल पकड़ेगा. हालांकि, अब तक सदन के बाहर ही इस मुद्दे पर बयानबाजी चल रही थी.
अब रामचरितमानस विवाद से किनारा कर रहे अखिलेश
बताया जा रहा है कि, रामचरितमानस विवाद से अब समाजवादी पार्टी किनारा करती नजर आ रही है. जहां पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने पदाधिकारियों और नेताओं को पत्र भेजकर धार्मिक मामलों पर बोलने से बचने की सलाह दी थी. हालांकि, अब सपा कार्यालय के बाहर इस विवाद को लेकर लगाए गए सभी पोस्टर्स भी हटवा दिए गए हैं. कहा जा रहा है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर पार्टी की ओर से ये कदम उठाया गया है. ये बदलाव ऐसे समय में किया गया है, जब यूपी विधानसभा का बजट सत्र शुरू होने को है.
नंदी ने अखिलेश पर कसा तंज
इस बीच योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी रविवार को कानपुर में ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने समाजवादी पार्टी पर जमकर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव को विरासत में गद्दी तो मिल सकती है, लेकिन बुद्धि नहीं. दरअसल, साल 2012 में जनता मुलायम सिंह यादव को मुख्यमंत्री बनना देखना चाहती थी. मगर, उन्होंने अपने बेटे को गद्दी सौंप दी. ऐसे में अखिलेश को गद्दी मिल गई तो 5 साल उन्होंने गेम और मोबाइल पर बिता दिया. वहीं, नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने कहा कि पिता जी ने गद्दी दी उन्हीं को लात मारकर खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया.
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