इंदौर। चार साल पहले शासन ने टीडीआर पॉलिसी तो बना दी, मगर उसका उपयोग किन-किन क्षेत्रों में होगा उसके कायदे-कानून अभी तक नहीं बनाए, जिसके चलते रिसीविंग झोन ही तय नहीं हो पाए। अग्निबाण ने भी शासन को टीडीआर पॉलिसी को सफल बनाने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव सौंपे, जिसमें ग्राउंड कवरेज, एमओएस और पार्किंग नियमों सहित अन्य बदलाव किए जाना है। कल संभागायुक्त ने भी इस मुद्दे पर चर्चा की, जिसमें इन संशोधनों के साथ नियमों के सरलीकरण की बात कही। वहीं निगमायुक्त ने भी इस बात पर सहमति जताई कि 100 फीट और उससे अधिक चौड़े मार्गों के साथ-साथ सम्पूर्ण निगम क्षेत्र में टीडीआर सर्टिफिकेट का इस्तेमाल किया जा सकता है।
एक तरफ इंदौर के आगामी मास्टर प्लान-2035 की कवायद चल रही है, तो उसके साथ झोनल प्लान बनाने पर भी काम शुरू हुआ। दूसरी तरफ वर्तमान में अमल में लाए जा रहे मास्टर प्लान के साथ-साथ भूमि विकास नियम और अन्य में भी ढेरों विसंगतियां हैं, जिसके चलते टीडीआर पॉलिसी भी अमल में नहीं ला सकी। जबकि मध्यप्रदेश हस्तांतरणीय विकास अधिकार नियम 2018 के लिए चार साल से कवायद चल रही है। कल संभागायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा ने ऑनलाइन गूगल मीट के माध्यम से टीडीआर को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक ली, जिसमें नगरीय विकास एवं आवास के निर्देशानुसार गठित की गई समिति के साथ चर्चा की।
कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी, आयुक्त प्रतिभा पाल, संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश एसके मुद्गल, अपर आयुक्त निगम सिद्धार्थ जैन, हाउसिंग बोर्ड के उपायुक्त यशवंत दोहरे सहित अन्य उपस्थित रहे। समिति द्वारा टीडीआर के प्राप्ति क्षेत्र के संबंध में 2 विकल्पों पर, जिसमें प्रथम विकल्प पूर्व में प्रेषित प्रस्ताव जिसमें इन्दौर विकास योजना 2021 के 30 मीटर या उससे अधिक चौड़े मार्गों के दोनों और मार्गों की चौड़ाई के दुगने क्षेत्र को प्राप्ति क्षेत्र प्रस्तावित करने तथा द्वितीय विकल्प में नगर निगम सीमा के संपूर्ण क्षेत्र पर प्राप्ति क्षेत्र का प्रस्ताव पर विचार किया गया। समिति द्वारा विचार किया गया कि टी.डी.आर. के प्राप्ति क्षेत्र को नगर में कुछ स्थानों पर प्रस्तावित ना करते हुए नगर निगम सीमा के संपूर्ण क्षेत्र पर प्राप्ति क्षेत्र का प्रस्ताव शासन को भेजा जाये, ताकि उत्पादन क्षेत्र में दिये जाने वाले टी.डी.आर. प्रमाण पत्र धारक को अधिक विकल्प प्राप्त हो सके। इससे टी.डी.आर. प्रमाण पत्र धारक को उसके प्रमाण पत्र का प्रभावी लाभ प्राप्त हो सकेगा।
आयुक्त नगर पालिक निगम के द्वारा इस संबंध में सहमति दी गई। समिति द्वारा यह भी विचार किया गया कि. टी.डी.आर का प्रभावी रूप से उपयोग तब ही हो पायेगा, जब इस हेतु विकास नियमन में ग्राउण्ड कवरेज को बढ़ाया जाये तथा एफ.ए.आर. एवं अन्य प्रावधान म.प्र. भूमि विकास नियम, 2012 के प्रावधानों के अनुरूप लागू किया जाये ताकि पूर्ण क्षेत्र में एक ही प्रकार के नियमन हो जिससे किसी प्रकार की विसंगति ना रहे। उपरोक्त प्रस्ताव से यह सुनिश्चित हो सकेगा कि छोटे भूखण्डों से बड़े भूखण्डों तक तथा सभी प्रकार के भूमि उपयोग जैसे कि आवासीय, वाणिज्यिक, पीएसपी इत्यादि में टी.डी.आर का अधिक से अधिक उपयोग हो सके। बैठक में संभागायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा द्वारा निर्देशित किया गया कि उपरोक्तानुसार प्रस्ताव तैयार कर शीघ्र आयुक्त संचालनालय भोपाल को प्रेषित किया जाये।
उन्होंने कहा कि टीडीआर के संदर्भ में नियम सरलीकृत होने चाहिए, जिससे आम आदमी भी सहुलियत से इनका फ़ायदा ले सकें। उन्होंने कहा कि आम आदमी सहजता से अपना घर बना सके इस पर विशेष फोकस रहना चाहिए। अग्निबाण ने पूर्व में भी टीडीआर पॉलिसी को सफल बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव भी को दिए, जिसमें मैकेनाइज्ड पार्किंग, तय किए जाने वाले रिसीविंग झोन में 30 मीटर चौड़ी सडक़ों पर बनने वाली बहुमंजिला इमारतों के निर्माण में कम से कम 50 फीसदी ग्राउंड कवरेज, फिक्स एमओएस के साथ पार्किंग नियमों में परिवर्तन महत्वपूर्ण बताए। क्रेडाई के कानूनी सलाहकार और जानकार संदीप श्रीवास्तव का भी कहना है कि वर्टिकल ग्रोथ को बढ़ावा देने, टीडीआर का लेखा-जोखा, टीएनसीपी के सहायक संचालक के अधीन रखने के साथ विक्रय की जटील प्रक्रिया को आसान करना जरूरी है। ग्राउंड कवरेज, एमओएस हाइट के नियमों को शिथिल करते हुए पूरा एफएआर उसी प्लाट पर उपयोग की अनुमति दी जाना चाहिए।
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