मुंबई। महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई समेत पूरे सूबे में मुस्लिम महिलायें लाडली बहन योजना के फॉर्म भर रही हैं। मुस्लिम महिलायें कतार में खड़ी रहकर फॉर्म भर रही है और इनका कहना है कि 1500 रुपये महीने की यह रकम उनके लिए 15 लाख रुपये के बराबर है। उन्होंने कहा कि उन्हें मौजूदा सरकार पर भरोसा है कि यह योजना आगे भी जारी रहेगी। महाराष्ट्र सरकार की योजना को लेकर मुस्लिम महिलाओं का यह रुख शिवसेना UBT चीफ उद्धव ठाकरे और NCP SP के सुप्रीमो शरद पवार को टेंशन दे सकता है।
मुस्लिम महिलाओं को इस बात की भी शिकायत है कि कांग्रेस ने खटाखट का वादा किया नहीं निभाया। उन्होंने कहा, ‘योजना से काफी मदद मिलेगी। हम महायुति सरकार का साथ देंगे। कांग्रेस और MVA ने झूठ बोल हमारा वोट लिया था लोकसभा में हम अब दोबारा यह गलती नहीं करेंगे। मोदी सरकार ट्रिपल तलाक के खिलाफ कानून लेकर आई। सुकन्या समृद्धि योजना लाई और बंद नहीं की। यह भी योजना जारी रहेगी।’ इस योजना में मुस्लिम महिलाओं की सक्रियता से विपक्ष परेशान है और वह न तो इसका तोड़ निकाल पा रहा है और न ही इसका विरोध कर पा रहा है।
समाजवादी पार्टी के नेता अबू आसिम आजमी ने इस योजना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘महायुति सरकार लोकसभा चुनाव में हार के बाद यह योजना चुनाव जीतने के लिए लाई है। 2.5 साल उनकी सरकार थी तब यह योजना क्यों नहीं लागू की? लेकिन अल्पसंख्यक, दलित, और पिछड़ी जाति की महिलाओं को पता है कि NDA की सरकार कैसी है, इसलिए जनता उनका साथ नहीं देगी। 1500 रुपये में क्या होता है? कांग्रेस शासित राज्यों में हम महिलाओं को 8500 रुपये महीने और 1 लाख रुपये साल का दे रहे हैं। हमारी सरकार आई तो हम बेहतर योजना लाएंगे।’
शिवसेना UBT के नेता संजय राउत ने इस मुद्दे पर और और तीखा बयान दिया। उन्होंने कहा, ‘मुसलमान किसी का बंधा हुआ नहीं है। जब तक BJP-शिवसेना सरकार में बैठे लोग मुस्लिमों के खिलाफ अत्याचार अन्याय को बंद नहीं करेंगे तब तक ऐसी कितनी भी योजनाएं लाएं, मुसलमान उनके साथ नहीं जुड़ेंगे और जुड़ने भी नहीं चाहिए।’ विपक्ष के आरोपों पर महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री दीपक केसरकर ने कहा कि विपक्ष हमेशा झूठा नरैटिव सेट करने की कोशिश करता है और अब उन्हें डर है कि लोकसभा में जो झूठा प्रचार किया वह नहीं चलेगा, इसलिए योजनाओं को लेकर भ्रम फैला रहे हैं।
बता दें कि महाराष्ट्र में मुस्लिम आबादी इस समय करीब 12 फीसदी है। 2024 के लोकसभा चुनाव में NDA को 3 फीसदी से भी कम मुसलमानों ने वोट किया था जबकि दूसरी तरफ विपक्षी MVA या INDI अलायंस को 95 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम वोट मिले थे। बता दें कि महाराष्ट्र में 80 लाख के आसपास मुस्लिम वोटर महिलाएं हैं और अगर इनका एक बड़ा हिस्सा महायुति से जुड़ता है तो यह शरद पवार के लिए टेंशन की बात होगी। वहीं, ओवरऑल इस योजना का इंपैक्ट कहीं न कहीं उद्धव ठाकरे की सियासत को भी प्रभावित कर सकता है।
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