नई दिल्ली. अमेरिका (America) के राष्ट्रपति (President) डोनाल्ड ट्रंप (Donald trump) ने इजराइल को 2,000 पाउंड (2000 pound) वजनी बम भेजने पर अपने पूर्ववर्ती जो बाइडन (Joe Biden) द्वारा लगाई गई रोक हटा दी है. बाइडन ने बम की आपूर्ति पर रोक इसलिए लगाई थी ताकि गाजा में हमास के साथ इजरायल के युद्ध में मारे जाने वाले असैन्य लोगों की मौत के मामलों को कम किया जा सके.
हिज्बुल्लाह और हमास के ठिकानों को बर्बाद करने के लिए इजरायल ने जिन दो हथियारों का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया है, वो हैं MK-84 बम और Hellfire Missile. दोनों को अमेरिका बनाता है. इजरायल की अमेरिका से दोस्ती है, इसलिए आतंकियों के खिलाफ इन हथियारों को खरीदा जा रहा है.
एयर ब्लास्ट मोड में इस बम को बदला जा सकता है. यह बम दुनिया का सबसे खतरनाक गैर-परमाणु हथियार माना जाता है. क्योंकि यह बम हवा में भी फोड़ा जा सकता है. यानी फॉर्मूला परमाणु बम वाला लेकिन इसमें पारंपरिक विस्फोटक डाले जाते हैं. टारगेट से थोड़ा ऊपर हवा में बम को फोड़ने से नुकसान ज्यादा होता है.
पिछले एक साल में अमेरिका ने इजरायल को 14100 MK-84 बम दिए हैं. अभी 1800 की डिलिवरी बाकी है. इस बम से पहला हमला 9 अक्टूबर 2023 में गाजा के जबालिया में हुआ. 12.7 फीट लंबे और 18 इंच व्यास वाले इस बम के कई वैरिएंट्स हैं. जिनका वजन और क्षमता के हिसाब से नाम बदल जाता है.
7 अक्टूबर 2023 हमले के अगले तीन हफ्तों तक इजरायल ने गाजा और लेबनान मिलाकर हर हफ्ते 6000 बम गिराए थे. जिसमें से ज्यादातर MK-84 थे. इजरायल को सबसे ज्यादा हथियार अमेरिका देता है. पिछले एक साल में इजरायल ने अमेरिका से 100 से ज्यादा हथियार डील किए हैं. मतलब हर 36 घंटे में एक डील.
इजरायल ज्यादातर अमेरिका में बने हथियारों का इस्तेमाल कर रहा है. जैसे- F-35, F-16, F-15 फाइटर जेट्स. इसमें लगाए बम MK-84, MK-83, MK-82 और JDAM बम और हेलफायर मिसाइलें.
पहले जानते MK-84 बम की ताकत के बारे में…
यह 2000 पाउंड यानी 907 किलोग्राम का हैवी बम है. इसे बीएलयू-117 भी कहते हैं. वियतनाम युद्ध के समय से अमेरिका इसका इस्तेमाल कर रहा है. इजरायल इसमें JDAM किट लगाकर हमला करता है. ताकि बम को सटीक टारगेट तक पहुंचाया जा सके. इसके अलावा इसमें एक एयर ब्लास्ट मोड (Air Blast Mode) होता है.
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