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    राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता खतरे में, क्या चल पाएंगे इंदिरा और सोनिया गांधी वाला दांव

  • March 24, 2023

    नई दिल्‍ली (New Delhi)। सूरत की अदालत से सजा सुनाए जाने के बाद कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की लोकसभा सदस्यता (Lok Sabha Membership) पर तलवार लटक रही है। इसकी वजह गुरुवार को आया सूरत कोर्ट का फैसला है, जहां आपराधिक मानहानि मामले में उन्हें 2 साल की सजा हुई है, हालांकि, गांधी परिवार के कई दिग्गज इस तरह की कानूनी चुनौतियों से उबरकर सियासी तारा चमका चुके हैं, लेकिन राजनीति की ताजा तस्वीर में राहुल के लिए इस मौके का इस्तेमाल आसान नहीं होगा।



    विदित हो कि इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अपने खिलाफ मामलों का उपयोग सहानुभूति के लिए किया था। वहीं, राहुल की मां और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने ऑफिस ऑफ प्रॉफिट कानून के तहत संसद सदस्यता गंवा दी थी और बाद में जीतकर दोबारा हासिल की थी, लेकिन राहुल के लिए यह जंग आसान नहीं होगी। अगर उनकी सजा पर रोक नहीं लगाई गई, तो वह 6 सालों तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे।

    कहा जा रहा है कि कांग्रेस और उसके नेता ताजा घटना के तहत राहुल के इमेज मेकओवर की कोशिश में लगे हैं। इसके तहत वे वायनाड सांसद को महात्मा गांधी की तरह दिखाएंगे, जो सत्ता के सामने खड़ा हुआ। इसके अलावा कांग्रेस राहुल के अयोग्य घोषित होने की स्थिति को लेकर भी तैयारियां कर रही हैं। ऐसे में माना जा सकता है कि कांग्रेस राहुल की ऐसी छवि बनाने की कोशिश में हैं, जहां यह दिखाया सके कि वह बगैर सांसद हुए भी ताकतवर हैं।

    दिवंगत इंदिरा गांधी के खिलाफ हुए कई मामलों का इस्तेमाल उनकी वापसी के लिए किया गया। अब राहुल के समर्थकों को भी उम्मीद है कि वही दांव उनके लिए भी काम करेगा। हालांकि, अब समय और सियासत का तरीका बदल गया है। कांग्रेस को उम्मीद है कि 2024 में गांधी का नाम ही काफी होगा। कहा जा रहा है कि कांग्रेस चुनावी रणनीति के तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी निशाना नहीं छोड़ेगी। एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया कि राहुल इस एजेंडा पर और आक्रामक रूप से सक्रिय रहेंगे। खास बात है कि ऐसे में सोनिया और प्रियंका गांधी वाड्रा पर भी 2024 लोकसभा चुनाव लड़ने का दबाव बनेगा।

    सोनिया गांधी और प्रियंका को भी लड़ना पड़ सकता है चुनाव
    हालांकि इस घटनाक्रम से सोनिया गांधी पर 2024 में चुनाव लड़ने का दबाव बढ़ गया है। वहीं प्रियंका वाड्रा के लिए वायनाड से चुनाव लड़ने का दबाव होगा, अगर राहुल गांधी वहां से चुनाव नहीं लड़ पाए। दूसरी तरफ राहुल के समर्थकों को उम्‍मीद है कि जैसे इंदिरा गांधी के खिलाफ कई मामलों का इस्‍तेमाल उन्‍होंने खुद की वापसी के लिए कर लिया था, ठीक वैसे ही राहुल गांधी के लिए भी होगा, लेकिन वे मानते हैं कि अब समय और राजनीति का स्वरूप भी बदल गया है। संसद के अंदर एक आवाज अब मायने रखती है लेकिन कांग्रेस को उम्मीद है कि गांधी का नाम 2024 और उसके बाद भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए पर्याप्त होगा

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