नई दिल्ली। देश की ज्यादातर निजी और सरकारी कंपनियों (private and government companies) में काम करने वालों के सामने इस समय यही बड़ा सवाल है कि क्या ठीक 3 दिन बाद यानी 1 अक्टूबर 2021 से उन्हें 12 घंटे नौकरी (Working Hours) करनी पड़ेगी। क्या अगले महीने से केंद्र की मोदी सरकार नए लेबर कोड (Labour Codes) के नियमों को लागू करेगी?
अगर ये नियम लागू होते हैं तो सिर्फ काम के घंटे ही नहीं बढ़ेंगे बल्कि आपके हाथ आने वाली सैलेरी भी घट (Take-home Salary Cut) सकती है। हालांकि, प्रॉविडेंट फंड (PF) का पैसा बढ़ जाएगा. इन सभी सवालों के बीच पता लगा है कि श्रम मंत्रालय (Labour Ministry) नए नियमों को 1 अक्टूबर 2021 से लागू नहीं कर पाएगी। इसकी पहली वजह राज्यों की तैयारी नहीं होना और दूसरी उत्तर प्रदेश समेत देश के 5 राज्यों में होने वाले चुनाव (Assembly Elections) को बताया जा रहा है।
घट जाएगी टेक होम सैलरी, बढ़ेगा पीएफ-ग्रैच्युटी
नया श्रम कानून लागू होने के बाद कर्मचारियों की टेक होम सैलरी घट जाएगी. वहीं, कंपनियों को ज्यादा पीएफ दायित्व का बोझ उठाना पड़ेगा. यही नहीं नए ड्राफ्ट रूल के मुताबिक, मूल वेतन कुल वेतन का 50 फीसदी या ज्यादा होना चाहिए. इससे ज्यादातर कर्मचारियों की सैलरी का स्ट्रक्चर बदल जाएगा. बेसिक सैलरी बढ़ने से पीएफ और ग्रेच्युटी के लिए कटने वाला पैसा बढ़ जाएगा. इसमें जाने वाला पैसा बेसिक सैलरी के अनुपात में होता है. अगर ऐसा होता है तो आपके घर आने वाली सैलरी घट जाएगी. वहीं, रिटायरमेंट पर मिलने वाला पीएफ और ग्रैच्युटी का पैसा बढ़ जाएगा।
कर्मचारियों के काम करने के घंटे में होगी बढ़ोतरी
श्रम संहिता के नए नियमों में कामकाज के अधिकतम घंटों को बढ़ाकर 12 करने का प्रस्ताव रखा गया है. हालांकि, श्रम संगठन 12 घंटे नौकरी करने का विरोध कर रहे हैं. कोड के ड्राफ्ट रूल्स में 15 से 30 मिनट के बीच के अतिरिक्त कामकाज को भी 30 मिनट गिनकर ओवरटाइम में शामिल करने का प्रावधान है. मौजूदा नियम में 30 मिनट से कम समय को ओवरटाइम योग्य नहीं माना जाता है. ड्राफ्ट नियमों में किसी भी कर्मचारी से 5 घंटे से ज्यादा लगातार काम कराने की मनाही है. कर्मचारियों को हर 5 घंटे के काम के बाद आधा घंटे का आराम देना होगा।
संसद के दोनों सदनों में किया जा चुका है पारित
संसद के दोनों सदनों ने श्रम कानून की इन चार संहिताओं को पारित कर दिया है. केंद्र के अलावा राज्य सरकारों को भी इन संहिताओं, नियमों को अधिसूचित करना जरूरी है. इसके बाद ही ये नियम राज्यों में लागू हो पाएंगे. ये नियम 1 अप्रैल 2021 से लागू होने थे, लेकिन राज्यों की तैयारी पूरी नहीं होने के कारण इन्हें टाल दिया गया।
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