नई दिल्ली। केंद्र सरकार (Central govt) ने नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (National Research Foundation) के लिए पांच वर्षों के लिए 50,000 करोड़ रुपए (50,000 crores) का फंड (Fund) सुनिश्चित किया है। उन्होंने कहा, अच्छा प्रदर्शन करने वाले भारतीय विश्वविद्यालयों (Indian universities) को अन्य देशों (Abroad) में अपने कैंपस खोलने (Open campuses) के लिए प्रोत्साहित (Encourage) किया जाएगा। इसी तरह विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में कैंपस खोलने की सुविधा दी जाएगी।
इसके अलावा उच्च गुणवत्ता वाले विदेशी संस्थानों के साथ अनुसंधान, शिक्षण सहयोग और फैकल्टी, स्टूडेंट एक्सचेंज की भी सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। इसे स्टडी इन इंडिया स्टे इन इंडिया ब्रांड के रूप में स्थापित किया जाएगा।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नेशनल रिसर्च फाउंडेशन के बारे में भी बात करते हुए कहा कि इसकी स्थापना से देश में रिसर्च एवं इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा। शिक्षा मंत्री ने कहा कि हमें भारत को एक वैश्विक शिक्षा के गंतव्य के रूप में बढ़ावा देना है जो कि कम कीमत पर प्रीमियम शिक्षा प्रदान करता है।
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भारत की उच्च शिक्षा व्यवस्था के बारे में बताते हुए कहा कि अब समय आ गया है जब हमें अपनी शिक्षा व्यवस्था में अभूतपूर्व सुधार करने की जरूरत है। इसी को ध्यान में रखते हुए हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी 2020) लेकर आए हैं जो उच्च शिक्षा व्यवस्था को नए तरीके से परिभाषित करेगी।
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने बार-बार जोर दिया है कि भारत का नैतिक दायित्व दुनिया को न केवल जिम्मेदार नागरिक देना है बल्कि एक वैश्विक नागरिक देना भी है। हमारी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति अपने चार स्तंभों, गुणवत्ता, समानता, पहुंच और सामथ्र्य के माध्यम से इसी दिशा में काम करेगी। इसी की बुनियाद पर एक नया भारत (न्यू इंडिया) उभरेगा।
शिक्षा मंत्री ने बुधवार को ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित वल्र्ड यूनिवर्सिटीज समिट को संबोधित करते हुए यह बातें कहीं।
इस समिट में उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन के अध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ) डी पी सिंह, ओ पी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति श्री नवीन जिंदल, संस्थापक कुलपति प्रोफेसर (डॉ) सी राज कुमार, रजिस्ट्रार प्रोफेसर दबीरु श्रीधर पटनायक एवं अन्य गणमान्य सदस्य उपस्थित थे।
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि जब दुनिया भर के विश्वविद्यालय इस महामारी से उबरने के साथ साथ शिक्षा को अनवरत रूप से जारी रखने के लिए प्रयासरत हैं, इस समय ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित यह समिट बेहद सामयिक है।
इस समिट में 25 देशों के 100 से अधिक विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, अध्यक्षों, रेक्टरों और प्रोवोस्ट सहित 150 से अधिक बुद्धिजीवियों ने हिस्सा लिया।
शिक्षा मंत्री ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में विस्तार से बात करते हुए कहा कि यह प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत के विजन को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है।यह नीति ऐसी इनोवेशन और रिसर्च पर केंद्रित है जो हमारे समाज एवं वैश्विक समुदाय पर सीधा प्रभाव डालेगी। इससे भविष्य में हमारे शिक्षण संस्थान वैश्विक मापदंडों का पालन करते हुए बेहतर तालमेल के साथ काम करेंगे और मानव संसाधनों को मानव पूंजी में बदलेंगे।
उन्होंने समग्र एवं बहु-विषयक शिक्षा के बारे में भी बात की और कहा कि क्षेत्रीय एवं स्थानीय भाषा में शिक्षा उपलब्ध करवाने का उद्देश्य यह है कि हर तबके के छात्र का समग्र विकास हो और किसी का नुकसान न हो।
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