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    एक लाख ई-पट्टे बांटेंगे, ग्रामीण आबादी का ड्रोन सर्वे हुआ पूरा

  • December 30, 2022

    इंदौर जिले के 560 गांवों में भू-अभिलेख ने उड़ाया ड्रोन, बैंक लोन से लेकर कई फायदे मिल सकेंगे , जमीन का स्वामित्व मिलने से आर्थिक मजबूती भी मिलेगी
    इंदौर।  सबको मकान उपलब्ध कराने के लिए जहां प्रधानमंत्री आवास योजना (Pradhan Mantri Awas Yojana) को अमल में लाया जा रहा है, वहीं ग्रामीण आबादी (Rural Population) का भी सर्वे करवाकर उन्हें काबिज निर्माण का मालिकाना हक सौंपा जाएगा, ताकि बैंक लोन (Bank Loan) से लेकर तमाम दस्तावेजों में ये जमीनी कागज काम आ सकें। इंदौर जिले के 560 गांवों में भू-अभिलेख विभाग ने ड्रोन उड़ाकर सर्वे किया और एक लाख से अधिक ई-पट्टों को बांटने की तैयारी की जा रही है। लगभग 10 हजार पट्टे बांट भी दिए हैं। शहर में भी कुछ वर्ष पूर्व शासन ने पट्टे बांटे थे और फिर बहुमंजिला इमारतों के निर्माण करवाकर फ्लेट आवंटित किए।
    शहर में तो कई तरह की योजनाओं का लाभ निम्न और गरीब तबके को दिया जा रहा है, जिसमें पक्के मकानों में शिफ्ट भी किया जा रहा है। सड़क़ चौड़ीकरण से लेकर अन्य प्रोजेक्टों में बाधक बनने वाले झुग्गी-झोपडिय़ों और अन्य कच्चे-पक्के निर्माणों को हटाने के एवज में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाए गए फ्लेटों में शिफ्ट कराया जाता है। प्राधिकरण के अलावा नगर निगम ने भी अपनी सीमा में हजारों फ्लैटों का निर्माण इस योजना के तहत किया है। दूसरी तरफ ग्रामीण क्षेत्रों के लिए पीएम स्वामित्व योजना शुरू की गई है, जिसमें वर्षों से काबिज ग्रामीण क्षेत्र की आबादी को मालिकाना हक दिए जा रहे हैं। अभी तक उनकी जमीनें राजस्व या किसी अन्य सरकारी रिकॉर्ड में तर्ज भी नहीं रहती है। नतीजतन बैंक लोन से लेकर अन्य तरह के दस्तावेजों में इनका उपयोग नहीं हो पाता है। अब ई-पट्टा मिलने के बाद बैंक से लोन सहित अन्य जगह यह मालिकाना हक का दस्तावेज काम आएगा। जिला भू-अभिलेख अधिकारी बजरंग बहादुर सिंह का कहना है कि इंदौर जिले के 560 गांवों का ड्रोन सर्वे पूरा हो गया है और लगभग 10 हजार पट््टेे ऑनलाइन रिकॉर्ड के जरिए दर्ज किए जा चुके हैं और कुछ ग्रामीणों को इसका लाभ भी देना शुरू किया गया है। एक लाख से अधिक ई-पट्टे सर्वे के आधार पर दिए जाना है, जिसकी लगातार प्रक्रिया चल रही है। सर्वे के बाद टीम मौके पर जाकर सत्यापन भी करती है और फिर उसमें संशोधन भी ऑनलाइन किया जाता है और संशोधित नक्शे विभाग की साइड पर अपलोड कर दिए जाते हैं। अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेड़ेकर के मुताबिक आबादी भूखंडों की संख्या 1 लाख 9 हजार 926 तक रहेगी, जिनमें सर्वाधिक संख्या 25724 महू डॉ. आम्बेडकर नगर के गांवों की है। सांवेर में 25 हजार 232, हातोद में 11189, देपालपुर में 24980, कनाडिय़ा में 2638, खुड़ैल में 9147, जूनी इंदौर में सबसे कम 401, बिचौलीहप्सी में 4302, मल्हारगंज में 971 और राऊ में 4642 आबादी भूखंडों की संख्या है। ड्रोन कैमरों से इन सभी गांवों के आबादी क्षेत्रों की डिजीटल मैपिंग करवाई गई है और उसी आधार पर ई यानी डिजीटल पट््टेे तैयार कर बांटे जाएंगे।


    2025 तक पूरे देश में होना है सर्वे… मध्यप्रदेश पहले चरण में शामिल
    2025 तक इस योजना का लाभ देश की सभी ग्रामीण आबादी को दिया जाना है। पंचायती राज मंत्रालय द्वारा यह योजना संचालित की जा रही है और इसका पहला चरण, जो प्रायोगिक योजना के रूप में अप्रैल-2020 से मार्च-2021 तक चलाया गया, उसमें मध्यप्रदेश सहित 9 राज्यों को शामिल किया गया। हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश उत्तराखंड, पंजाब, राजस्व और आंध्रप्रदेश इसमें शामिल हैं। इस योजना का दूसरा चरण अप्रैल-2021 से शुरू किया गया, जो वर्तमान में चल रहा है और यह मार्च-2025 तक चलेगा, जिसमें शत-प्रतिशत गांवों का ड्रोन सर्वे कराया जाना है। अभी तक पूरे देश में 2 लाख 3 हजार 118 गांवों में ड्रोन उड़ानें पूरी कर ली गई है। पहले चरण में चूंकि मध्यप्रदेश को शामिल किया गया, जिसके चलते इंदौर की भी ग्रामीण आबादी में ई-पट्टे के लिए ड्रोन सर्वे करवाया गया है।

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