एमपीआरडीसी को सौंपा फिजिबिलिटी सर्वे कराने का जिम्मा, उज्जैन, उमरिया, पचमढ़ी को प्राथमिकता, दतिया पट्टी भी एयरपोर्ट के रूप में होगी तब्दील
इंदौर। देश के अधिकांश प्रमुख जिलों में हवाई सुविधाओं को बढ़ाने के प्रयास लगातार शासन स्तर पर चल रहे हैं। पिछले दिनों कैबिनेट ने मौजूदा हवाई पट्टियों को विकसित करने का निर्णय भी लिया, ताकि बड़े विमान भी उतर सकें। शासन की उड्डयन नीति के तहत अभी मध्यप्रदेश रोड डवलपमेंट कार्पोरेशन प्रा.लि. यानी एमपीआरडीसी (MPRDC) को 21 हवाई पट्टियों को विकसित करवाने के लिए फिजिबिलिटी सर्वे रिपोर्ट तैयार करने और इसके लिए उपयुक्त कंसल्टेंसी चयन का जिम्मा सौंपा गया है। अभी आठ हवाई पट्टियों पर ही प्लेन उतर सकते हैं। हालांकि इंदौर सहित मध्यप्रदेश में फिलहाल 5 ही हवाई अड्डे हैं, जबकि केन्द्र सरकार चाहती है कि हवाई अड्डों की संख्या के साथ-साथ हवाई पट्टियों के निर्माण भी पूरे हों। उज्जैन, उमरिया, पचमढ़ी जैसे शहरों को प्राथमिकता दी जा रही है, जहां पर धार्मिक, पर्यटन की दृष्टि से बड़ी संख्या में बाहर से लोग आते हैं, दूसरी तरफ दतिया की हवाई पट्टी को भी एयरपोर्ट में तब्दील करने की प्रक्रिया शुरू की है।
दतिया में उनाव रोड खेरी मंदिर के पास की पट्टी को एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने एयरपोर्ट में बदलने का काम शुरू करवाया है, ताकि 19 सीटर एयरक्राफ्ट उतर सके। इससे दतिया का जुड़ाव बड़े शहरों से हो सकेगा। 21 करोड़ रुपए से अधिक के टेंडर भी पिछले दिनों जारी किए गए और इंदौर के प्रभारी तथा प्रदेश के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने इसकी आधारशिला कई साल पहले रखी थी। अब उसे विकसित किया जाएगा। अगर समय पर काम पूरा हो गया तो अगले साल के अंत तक दतिया को नई सौगात इस एयरपोर्ट के रूप में मिल सकती है, क्योंकि यहां स्थित श्री पिताम्बरा पीठ में दर्शन के लिए बड़ी संख्या में लोग आते हैं। मगर सीधी एयर कनेक्टीविटी ना होने के कारण परेशानी उठाना पड़ती है। मध्यप्रदेश में 33 हवाई पट्टियां हैं और 5 हवाई अड्डे इनमें शाामिल है। मगर इनमें से 21 हवाई पट्टियां ऐसी है, जिन्हें विकसित किया जा सकता है ताकि घरेलू उड़ानें भविष्य में शुरू की जा सके। अभी महाकाल लोक बनने के बाद उज्जैन में भी बड़ी संख्या में धर्मालू आते हैं, जिन्हें इंदौर होकर जाना पड़ता है। यही कारण है कि उज्जैन हवाई पट्टी को भी विकसित करने पर जोर दिया जा रहा है, तो इसी तरह मध्यप्रदेश का हिल स्टेशन पचमढ़ी, जहां बड़ी संख्या में पर्यटक जाते हैं, वहां की हवाई पट्टी को भी घरेलू उड़ान के मुताबिक तैयार किया जाएगा। दरअसल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चाहते हैं कि देश के बड़े शहरों में तो हवाई कनेक्टीविटी है, मगर छोटे शहरों को भी इससे जोड़ा जाए। खासकर वे शहर, जो धार्मिक, पर्यटन, व्यवसायिक या अन्य दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। कोरोना के बाद देशभर में हवाई यात्रियों की संख्या में भी तेजी से इजाफा हुआ है और इंदौर एयरपोर्ट पर ही लगातार यात्री बढ़ रहे हैं और उड़ानों की संख्या में भी इजाफा किया जा रहा है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने विमानन अधिकारियों के साथ हुई बैठक में प्रदेश की मौजूदा हवाई पट्टियों को विकसित करने के निर्देश दिए थे। जबकि वर्तमान में आठ हवाई पट्टियां ही ऐसी है जहां जेट प्लेन उतर सकते हैं।
इंदौर सहित अभी प्रदेश में मात्र 5 हवाई अड्डे ही
इंदौर का देवी अहिल्याबाई होल्कर हवाई अड्डा ही प्रदेश का सबसे बड़ा और प्रमुख एयरपोर्ट है, उसके बाद भोपाल का राजाभोज एयरपोर्ट है और इंदौर-भोपाल एयरपोर्ट ही दोनों अंतर्राष्ट्रीय स्तर के हैं। यानी यहां से सीधी विदेशी उड़ान भी संचालित होती है, जबकि जबलपुर में रानी दुर्गावति, ग्वालियर में राजमाता विजयाराजे सिंधिया के अलावा खजुराहो में महाराजा छत्रसाल एयरपोर्ट है।
चापड़ा का अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट फिलहाल फाइलों में दफन
प्रदेश में जहां 5 एयरपोर्ट हैं, तो दूसरी तरफ इंदौर-भोपाल के बीच चापड़ा में विशाल अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट की योजना बनाई गई, जिसके लिए 5 हजार से अधिक जमीन अधिग्रहण की जरूरत भी सामने आई, जिसके चलते धड़ाधड़ इंदौर के ही कई रसूखदारों ने जमीनें खरीद ली और भाव आसमान पर पहुंच गए। मगर फिलहाल चापड़ा का यह प्रस्तावित एयरपोर्ट फाइलों में ही दफन हो गया।
मुख्यमंत्री का ही विमान नहीं उतर पाता है, हेलीकॉप्टर इस्तेमाल की मजबूरी
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान का ही विमान पांच हवाई अड्डों और कुछ चुनिंदा पट्टियों पर ही उतर पाता है, जिसके चलते अन्य जिलों या क्षेत्रों में जाने के लिए हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल करना पड़ता है। मध्यप्रदेश में तीन निजी हवाई पट्टियां भी हैं जो कि दमोह स्थित डायमंड सीमेंट फैक्ट्री, शहडोल स्थित ओरियंट पेपर मिल और उज्जैन-नागदा में ग्रेसिंग इंडस्ट्रीज की ये हवाई पट्टी है।
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