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कमलनाथ के गढ़ को भेदने के लिए शिवराज पर भरोसा जताएगी भाजपा? रणनीति बनाने में जुटी बीजेपी

February 23, 2024

छिंदवाड़ा: साल 2019 के लोकसभा चुनाव (2019 Lok Sabha elections) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की लहर होने के बावजूद मध्य प्रदेश बीजेपी (Madhya Pradesh BJP) पूर्व सीएम कमलनाथ (Kamal Nath) के गढ़ छिंदवाड़ा Chhindwara) की सीट को फतह हासिल करने में नाकाम रही थी. हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 29 में से 28 सीटें जीत थी, बस यही छिंदवाड़ा की सीट रह गई थी. कांग्रेस की इस मजबूत किले में सेंध लगाने के लिए बीजेपी रणनीति बनाने में जुटी हुई है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बीजेपी छिंदवाड़ा की सीट पर जीत का परचम फहराने के लिए पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान पर भरोसा जता सकती है.

बता दें, छिंदवाड़ा लोकसभा सीट कांग्रेस का गढ़ है. इस सीट पर साल 1952 से कांग्रेस लगातार जीतती आ रही है. इन 72 सालों में बीजेपी महज एक बार यहां से जीत मिली. उप चुनाव में सुंदरलाल पटवा ने कमलनाथ को हराया था और सुंदरलाल पटवा महज एक साल के लिए सांसद रहे. शेष समय कांग्रेस का ही कब्जा रहा. वर्तमान में पूर्व सीएम कमलनाथ के पुत्र नकुलनाथ यहां से सांसद हैं, वहीं इस सीट पर कमलनाथ, उनकी पत्नी अलकानाथ भी सांसद रह चुके हैं.


मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा सीट कांग्रेस के लिए मुसीबत बन गई है. राम मंदिर की लहर हो या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर, बावजूद बीजेपी इस सीट पर विजयी नहीं हो सकी. साल 2014 के चुनाव में भी बीजेपी ने प्रदेश की 29 सीटों में से 27 सीटों पर जीत दर्ज किया था, जबकि साल 2019 के चुनाव में तो 29 सीटों में से 28 सीटों पर बीजेपी विजयी हुई, लेकिन छिंदवाड़ा की सीट नहीं जीत सकी. राजनीति के जानकारों का कहना है कि कांग्रेस के इस गढ़ को भेदने के लिए बीजेपी रणनीति बनाने में जुटी है. माना जा रहा है कि छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर बीजेपी पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान पर भरोसा जता सकती है. अगर ऐसा होता है तो 20 साल बाद एक बार फिर से शिवराज सिंह चौहान लोकसभा चुनाव के मैदान में होंगे.

छिंदवाड़ा सीट का गठन साल 1952 में हुआ था. पहले चुनाव में यहां से कांग्रेस के रायचंद भाई शाह विजयी हुए थे. इसके बाद 1957 में कांग्रेस के ही भीकूलाल लक्ष्मचंद, 1962 में नारायण राव मणिराम, 1967 में भीकूलाल लक्ष्मीचंद, 1971 में गार्गी शंकर मिश्रा, 1977 में गार्गी शंकर मिश्रा, 1980 में गार्गी शंकर मिश्रा, 1980, 1984, 1989, 1991 और 1996 में कमलनाथ सांस रहे. साल 1997 में छिंदवाड़ा से कमलनाथ की पत्नी अलकानाथ सांसद बनी. साल 1998 में बीजेपी के सुंदरलाल पटवा और 1998 में कमलनाथ दोबारा चुनाव जीते. साल 2004, 2009 और 2014 में कमलनाथ छिंदवाड़ा से सांसद बने. साल 2019 लोकसभा चुनाव में कमलनाथ के पुत्र नकुलनाथ यहां से सांसद चुने गए.

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