जबलपुर। बाघों की तरह अब जंगली हाथियों की निगरानी होगी। उन्हें कालर आइडी पहनाई जाएगी। वन विभाग द्वारा विदेश से कालर आइडी मंगवाई गई है। यह जानकारी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली युगलपीठ के समक्ष सरकार की ओर से पेश की गई। वहीं, सरकार ने कहा कि पकडकऱ प्रशिक्षण शिविर में रखे गए पहले हाथी को तीन महीने में छोड़ा जाएगा।जंगली हाथियों पर नियंत्रण पाने के लिए उन्हें पकड़कर प्रशिक्षण शिविरों में रखे जाने का विरोध करते हुए रायपुर निवासी नितिन सिंघवी द्वारा याचिका दायर की गई है।
जिसमें हाथियों द्वारा किए जाने वाले उत्पात और नुकसान का मामला तो उठाया गया है। लेकिन यह भी कहा गया कि इसके निवारण उपाय की बजाय वन विभाग आखिरी कदम उन्हें पकडऩे का अपना रहा है। जिसका हाथियों पर विपरीत असर पड़ रहा है और उन्हें प्रताडऩा का सामना करना पड़ रहा है। सीजे सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की पीठ के समक्ष इस पर हुई सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से रिपोर्ट पेश की गई। युगलपीठ ने सरकार से पूछा है कि किस आदेश के तहत जंगली हाथियों को पकडकऱ प्रशिक्षण शिविर में रखा गया है। युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई 16 दिसंबर को निर्धारित की है।
सात साल में 10 हाथी पकड़े गए
सुनवाई में सरकार की ओर से बताया गया था कि 2017 से अब तक 10 हाथी पकड़े जा चुके हैं। इनमें दो की मौत हो गई थी। आठ टाइगर रिजर्व के प्रशिक्षण शिविर में रखे गए हैं। तीन महीने में पहले पकड़े गए हाथी को छोड़ा जाएगा। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने पैरवी की।
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