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    पत्नी ने किए पति के फर्जी हस्ताक्षर, SC बोला- हर कपटपूर्ण काम गैरकानूनी नहीं

  • January 24, 2024

    नई दिल्ली (New Delhi)। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि हर कपटपूर्ण काम (every fraudulent act) गैरकानूनी नहीं (not illegal) है, ठीक वैसे ही जैसे हर गैरकानूनी कार्य कपटपूर्ण नहीं होता। हालांकि, कुछ काम गैरकानूनी और कपटपूर्ण दोनों होते हैं और ऐसे कृत्य ही आईपीसी की धारा 420 (Section 420 of IPC) के दायरे में आएंगे। इस टिप्पणी के साथ शीर्ष अदालत ने एक वैवाहिक विवाद (marital dispute) के बाद नाबालिग बेटे के पासपोर्ट (passport of minor son) के लिए फर्जी हस्ताक्षर (fake signature) बनाने के आरोप में महिला व उसके पति के खिलाफ एफआईआर रद्द कर दी। पत्नी ने हस्ताक्षर किए थे।


    जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने पति की शिकायत पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाने के कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ मरियम फसीहुद्दीन व उसके पिता की याचिका को स्वीकार किया। पीठ ने कहा, ट्रायल मजिस्ट्रेट और हाईकोर्ट दुर्भाग्य से यह समझने में विफल रहे कि वर्तमान विवाद की उत्पत्ति वैवाहिक विवाद में है।

    इस मामले में धोखाधड़ी और जालसाजी के प्राथमिक तत्व स्पष्ट रूप से गायब हैं। इसलिए अपीलकर्ताओं के खिलाफ बंगलूरू अदालत के समक्ष आपराधिक कार्यवाही जारी रखना कानून की प्रक्रिया के दुरुपयोग के अलावा कुछ नहीं है। यह अदालत सिर्फ अनुमानों और धारणाओं के आधार पर ऐसे गंभीर अपराध और दंड लगाने से पहले सावधानी बरतेगी। ट्रायल मजिस्ट्रेट को विवेक का इस्तेमाल करते हुए कम से कम वास्तविक पीड़ित को पहचानने का प्रयास करना चाहिए था। ऐसा करने में विफलता त्रुटिपूर्ण है।

    अनियमितताओं को नजरअंदाज किया गया
    पीठ ने कहा कि इस मामले में ट्रायल मजिस्ट्रेट ने गंभीर प्रक्रियागत अनियमितताओं समेत अन्य अनियमितताओं को नजरअंदाज किया, क्योंकि जांच अथॉरिटी के पूरक आरोपपत्र में जालसाजी का अपराध शामिल है। पति ने एक निजी लैब से फॉरेंसिक रिपोर्ट प्राप्त की थी। यह रिपोर्ट कमजोर, अविश्वसनीय, असुरक्षित और अविवेकपूर्ण साक्ष्य प्रतीत होती है जब तक कि इसे किसी अन्य पुष्ट सबूत से समर्थित नहीं किया जाता है। पति ने कोई अन्य ठोस सबूत पेश नहीं किया है और न ही जांच एजेंसी ने आगे की जांच के लिए ऐसी कोई सामग्री प्राप्त की है।

    पीठ ने कहा-समय सीमा भी उल्लेखनीय
    पीठ ने यह भी कहा कि समय सीमा भी उल्लेखनीय है, क्योंकि अपीलकर्ता पत्नी ने आठ अप्रैल, 2010 को पति के खिलाफ विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज की थी, जिसके बाद पति ने 13 मई, 2010 को जवाबी शिकायत की। दोनों का विवाह 2007 में हुआ था। आरोप लगाया गया कि पति लंदन में सॉफ्टवेयर व्यवसाय में लगा हुआ था। काफी समझाने के बाद वह पत्नी को लंदन ले जाने को राजी हुआ। हालांकि, इसके तुरंत बाद उसने पत्नी को उसकी भाभी के आवास तक सीमित कर दिया। वह किसी तरह भारत लौटने में कामयाब रही। 2009 में अपनी यात्रा के दौरान पति ने पत्नी को धमकी दी और यात्रा की व्यवस्था करने के लिए नाबालिग बच्चे का पासपोर्ट छीन लिया।

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