गोरखपुर। सीएम योगी के अयोध्या से चुनाव लड़ने की अटकलों के बीच गोरखपुर से सवाल उठा है कि गोरक्षपीठाधीश्वर गोरखपुर छोड़कर आखिर क्यों अयोध्या या कहीं और से चुनाव लड़ने जाएंगे? उनके तमाम समर्थकों का दावा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आगामी विधानसभा चुनाव गोरखपुर से ही लड़ेंगे। इसके लिए उनके तर्क भी हैं, शासन के आला अफसर शहर के संभ्रांत लोगों को फोन मिलाकर पूछ रहे हैं कि महराज जी (योगी आदित्यनाथ) गोरखपुर से चुनाव लड़ेंगे तो कैसा रहेगा? समाज में किस तरह का संदेश जाएगा? जिस सीट से चुनाव लड़ेंगे, वहां के वर्तमान विधायक का रुख क्या रहेगा?
यूपी के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। यह तय होने के बाद कौन कहां से चुनाव लड़ेगा, इसकी कयासबाजी शुरू हो गई है। हाल ही अयोध्या के विधायक के यह कहने पर कि अगर योगी यहां से चुनाव लड़ना चाहें तो उनका स्वागत है। वे सीएम योगी के लिए सीट छोड़ सकते हैं। मीडिया में यह बात सामने आते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अयोध्या से चुनाव लड़ने की अटकलों का बाजार गर्म हो गया।
यह चर्चा गोरखपुर तक आई तो राजनीति के जानकार व योगी समर्थक हैरत में पड़ गए। उनका कहना है कि वैसे तो सीएम प्रदेश की किसी भी सीट से लड़कर चुनाव जीत सकते हैं। वे सवाल उठाते हैं, कोई एक भी वजह तो बताए कि योगी गोरखपुर को क्यों छोड़ दें? उनकी गोरखपुर में जमी जमाई जमीन है। उनके प्रभाव को रेखांकित करने के लिए 2002 का प्रसंग लोगों को याद रखना चाहिए जब योगी ने हिंदू महासभा के उम्मीदवार के तौर पर डॉ. आरएमडी अग्रवाल को बीजेपी के अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ न केवल उतारा, बल्कि जिताया भी था।
सदर विधानसभा से उस सीट पर तब से डॉ आरएमडी अग्रवाल चार टर्म से विधायक हैं। उनके समर्थक कहते हैं कि 2022 में योगी ही भाजपा से मुख्यमंत्री पद का चेहरा होंगे। स्टार प्रचारक के तौर पर अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में जाकर चुनाव प्रचार करना होगा। अगर गोरखपुर से चुनाव लड़ेंगे तो खुद की सीट पर प्रचार का कोई दबाव ही नहीं रहेगा। ऐसे में वे अनजानी सीट पर क्यों जोखिम लेना चाहेंगे ? वह गोरखपुर के एक-एक भाजपा पदाधिकारी व कार्यकर्ता को नाम से जानते हैं। बूथ व मंडल स्तरीय संगठन से सीधा संपर्क रखते हैं। समाज के ज्यादातर तबके में अच्छी पैठ है। हिंदू युवा वाहिनी (हियुवा) का भी साथ मिल जाएगा।
हिंदू युवा वाहिनी की शक्ति : गोरक्षपीठाधीश्वर व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हिंदू युवा वाहिनी के संरक्षक भी हैं। गोरखपुर में इस संगठन की जड़ें बेहद मजबूत हैं। बूथ व मंडल स्तरीय संगठन काम कर रहा है। महानगर व जिला इकाई भी सक्रियता से काम कर रही है। मुख्यमंत्री अगर गोरखपुर से चुनाव लड़ेंगे तो अपने क्षेत्र में बहुत ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वह यूपी के अलग-अलग जिलों में जाकर चुनाव प्रचार करेंगे। इसका फायदा पार्टी व अन्य प्रत्याशियों को मिलेगा।
आरएसएस का तर्क : आरएसएस के थिंक टैंक का कहना है कि मुख्यमंत्री के अयोध्या से चुनाव लड़ने की बात में बहुत दम नहीं है। वह चुनाव जरूर लड़ेंगे, लेकिन गोरखपुर छोड़ देंगे, इसमें बहुत सच्चाई नहीं है। जितनी भी बैठकें होती हैं उसमें योगी आदित्यनाथ गोरखपुर की बात करते हैं। आरएसएस की एक बैठक में कुछ ऐसा ही मामला सामने आया था। तब भी मुख्यमंत्री ने कहा था हम तो गोरखपुर जाकर मठ में रम जाएंगे। गोरखपुर से ही सब कुछ मिला है। इस तर्क में क्या संकेत हैं, सहज ही कोई समझ सकता है।
गोरखपुर से पांच बार जीते हैं लोकसभा चुनाव : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 26 वर्ष की उम्र में गोरखपुर के सांसद बने। पहला लोकसभा चुनाव 1998 में जीता था, फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1999, 2004, 2009 और 2014 का लोकसभा चुनाव भी जीतने में सफल रहे। चुनाव आयोग के पास जो आंकड़े हैं, उसके मुताबिक हर बार जीत का अंतर बढ़ा है।
मुख्यमंत्री जिस सीट से चाहें लड़ सकते हैं चुनाव : शहर लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा सीटें हैं। इसमें गोरखपुर शहर, कैंपियरगंज, सहजनवां, पिपराइच और गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिस भी सीट से चाहें चुनाव लड़ सकते हैं। हर विधानसभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री की पैठ है।
गोरखपुर से चुनाव लड़ें मुख्यमंत्री: राजेश नेभानी
सिंधी समाज ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगामी विधानसभा चुनाव गोरखपुर से लड़ने की अपील की है। समाज के वरिष्ठ व थोक वस्त्र व्यवसायी एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश नेभानी का कहना है कि गोरखपुर का धार्मिक, सांस्कृतिक व एतिहासिक महत्व है। गोरक्षपीठ की चर्चा देश, दुनिया में है। लिहाजा, गोरक्षपीठाधीश्वर व मुख्यमंत्री को गोरखपुर से ही चुनाव लड़ना चाहिए। मुख्यमंत्री अगर अयोध्या से चुनाव लड़ेंगे तो गोरखपुर के लोगों को झटका लगेगा। गोरखपुर के विकास में मुख्यमंत्री का अहम योगदान है। गोरखपुर से चुनाव लड़ेंगे तो पूरे देश में संदेश जाएगा। पूर्वांचल सहित यूपी के अन्य क्षेत्रों में भी नतीजा अच्छा आएगा।
क्षेत्र की 62 सीटों पर पड़ेगा सीधा असर : भाजपा गोरखपुर क्षेत्र से विधानसभा की 62 सीटें जुड़ी हैं। गोरखपुर, बस्ती और आजमगढ़ मंडल के 10 जिलों की इन सीटों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का अच्छा प्रभाव है। वह गोरखपुर से चुनाव लड़ेंगे तो मतदाताओं में अच्छा संदेश जाएगा। राजनीति के जानकारों का कहना है कि मुख्यमंत्री गोरखपुर से चुनाव लड़े तो हर सीट पर भाजपा प्रत्याशी को फायदा मिलेगा। इन जिलों के मतदाता गोरक्षपीठ में गहरी आस्था रखते हैं। गोरक्षपीठाधीश्वर व मुख्यमंत्री को सुनना, जानना व उनका अनुसरण करने को इच्छुक रहते हैं। भाजपा ने इस बार 62 में से 55 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है।
शहर लोकसभा क्षेत्र गोरखपुर सांसद रवि किशन शुक्ला ने कहा कि भाजपा में टिकट देने का अधिकार संगठन के पास है। टिकट मिलते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को विजयी बनाने में जुट जाएंगे। मुख्यमंत्री को तो नामांकन पत्र दाखिल करके चले जाना है। पूरा चुनाव गोरखपुर की जनता लड़ेगी। रवि किशन भी चुनाव प्रचार में जान लगा देंगे। मुख्यमंत्री को कुछ करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वह प्रदेश भर में आराम से चुनाव प्रचार करेंगे। मुख्यमंत्री कहीं से चुनाव लड़कर जीत जाएंगे। पूरा प्रदेश उनका घर है।
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