जबलपुर। एक आशा कार्यकर्ता की कोविड-19 से ड्यूटी के दौरान संक्रमित होकर हुई मौत के मामले में उसे मुख्यमंत्री कोरोना योद्धा योजना का लाभ न दिये जाने के मामले को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया। चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमठ व जस्टिस पुरुषेन्द्र कौरव की युगलपीठ ने मामले में अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये है। यह मामला शहडोल जिले की ब्यौहारी तहसील अंतर्गत ग्राम खरपा निवासी रामशरण शर्मा की ओर से दायर किया गया है। जिसमें कहा गया कि उनकी पत्नि स्व. सावित्री शर्मा वर्ष 2010 से आशा कार्यकर्ता के रूप में कार्य कर रहीं थी और कोरोना सर्वे टीम में भी शामिल थी। जो कि 10 मई 2021 को ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमित हुई। जिन्हें सर्वप्रथम सिविल अस्पताल ब्यौहारी में भर्ती कराया गया, जहां सीआरपी टेस्ट हुआ और उसके बाद उनका ऑक्सीजन लेबल 84 फीसदी रहा, जहां से उन्हें शहडोल रिफर किया गया, जहां आक्सीजन लेबल घटकर 74 हो गया, जिसके बाद उन्हें शहडोल के मेडिकल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां सीटी स्कैन में लंग्स में 50 फीसदी इंफेक्शन होना पाया गया और 14 मई 2021 को उनकी उपचार दौरान मौत हो गई।
जिस पर उनकी ओर से सीएमएचओं के माध्यम से समस्त दस्तावेजों के साथ कलेक्टर के समक्ष मुख्यमंत्री कोविड-19 योद्धा योजना का लाभ दिये जाने हेतु आवेदन किया गया, जिसे कलेक्टर ने अक्टूबर 2021 को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उनके पास आरटीपीसीआर रिपोर्ट नहीं है। आवेदक की ओर से कहा गया कि उन्होने समस्त दस्तावेजों, रेमडेसिविर इंजेक्शन व कोविड-19 प्रोटोकाल के तहत हुए उपचार संबंधी समस्त दस्तावेजों के साथ आवेदन किया, इसके बाद भी उसे खारिज कर दिया गया, जिस पर हाईकोर्ट की शरण ली गई है। मामले में प्रमुख सचिव राजस्व विभाग, प्रमुख सचिव स्वास्थ्य सेवा, कमिश्नर मेडिकल सेवा, कलेक्टर शहडोल व सीएमएचओं शहडोल को पक्षकार बनाया गया है। मामले की प्रारंभिक सुनवाई पश्चात् न्यायालय ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता ब्रम्हानेंद्र प्रसाद पाठक ने पक्ष रखा।
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