नई दिल्ली: ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और विदेश मंत्री अमीर अब्दुल्लाहियन का हेलिकॉप्टर रविवार को ईरान के पूर्वी अजरबैजान प्रांत के बॉर्डर से लौटते हुए क्रेश हो गया था. इस हादसे में राष्ट्रपति और विदेश मंत्री समेत सभी 9 लोगों की मौत हो गई थी. इस हादसे के बाद पूरे ईरान समेत दुनिया भर में इब्राहिम रईसी के समर्थक शोक मना रहे हैं. हादसे के चार दिन बाद भी इब्राहिम रईसी के शव को दफनाया नहीं गया है. ईरान के कार्यकारी मामलों के उपाध्यक्ष मोहसिन मंसूरी ने सोमवार को जानकारी दी है कि राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी को गुरुवार को ईरान के पूर्वोत्तर शहर मशहद में दफनाया जाएगा.
ईरान स्टूडेंट न्यूज ने रईसी और उनके साथ मारे गए सदस्यों के शोक समारोह के आयोजन पर विस्तार से बताया है. जिसमें जानकारी दी गई है कि रईसी का शोक समारोह उनके दफन से पहले कई शहरों में किया जाएगा. दरअसल, ऐसा ईरान में उनके बेशुमार समर्थकों की वजह से हो रहा है.
रईसी का शव मंगलवार दोपहर ईरान के शहर क़ोम पहुंचा था जहां उनका पहला शोक समारोह हुआ. उसके बाद शाम में उनके शव को नॉर्थ-वेस्टर्न शहर तबरिज़ ले जाया गया. आज यानी बुधवार को राष्ट्रपति और अन्य के शवों को राजधानी तेहरान लाया गया है. जहां ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह ख़ामेनई ने उनके जनाजे की नमाज (Last Prayer) पढ़ाई. इसके बाद राष्ट्रपति के शव को उनके होम टाउन मशहाद ले जाया जाएगा और यहीं उनको दफनाया जाएगा.
विदेश विभाग ने जानकारी दी है कि भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ बुधवार सुबह ईरान के पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए तेहरान रवाना हुए हैं. इसके अलावा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और विदेश मंत्री अमीर खान मुताक्की सहित अफगानिस्तान से तालिबान डेलिगेशन के भी शामिल होने की उम्मीद है. फिलिस्तीन के रेसिस्टेंस गुट हमास की पॉलिटिकल विंग के चीफ इस्माइल हानिया भी उनके शोक समारोह में पहुंचे हैं. रईसी की मौत के बाद ईरान में 5 दिन के शोक की घोषणा की गई है. शोक समारोह के दौरान ईरान के स्कूल और दफ्तरों को बंद कर दिया गया है. उनके शोक समारोह में शामिल होने के लिए तेहरान की सड़कों पर जनसैलाब देखा गया है.
जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के पॉलिटिकल साइंस स्कॉलर हुसैन इस्लाम बताते हैं कि ईरान के वरिष्ठ लोगों की अंतिम यात्रा में ऐसी भीड़ और देश के अलग-अलग शहरों में शव को लेकर जाना नया नहीं है. 2020 में बगदाद में अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे गए रिवोल्यूशनरी गार्ड जनरल कासिम सुलेमानी के जुलूस में भी करीब 1 मिलियन लोग शामिल हुए थे. अगर शोक समारोह एक जगह किया जाएगा तो सभी लोगों के इसमें शामिल होना मुश्किल है, इसी वजह से देश के अलग अलग शहरों में शव को ले जाया जा रहा है ताकि सभी लोग शोक समारोह में हिस्सा ले सकें.
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