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सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव क्‍यों हुए नाराज, उसके बाद ये हुआ

लखनऊ ।  उत्तर प्रदेश विधान परिषद में शुक्रवार को सपा सदस्यों के विरोध के बीच लोक सेवा (आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण) विधेयक ध्वनिमत से पारित घोषित कर दिया गया। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसे बहुमत का अपमान करार देते हुए इसकी आलोचना की। विधान परिषद के प्रमुख सचिव ने विधानसभा द्वारा गत 27 फरवरी को पारित उत्तर प्रदेश लोक सेवा (आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण) विधेयक, 2020 को सदन के पटल पर रखा। अधिष्ठाता जयपाल सिंह व्यस्त ने इसे पारित करने या न करने के लिए सदस्यों से हां या ना बोलने को कहा।

सत्ता पक्ष के सदस्यों ने ‘हां’ कहा जबकि सपा सदस्यों ने ‘ना’ में आवाज उठाई। अधिष्ठाता ने हां का स्वर अधिक बताते हुए इसके पारित होने की घोषणा की तो सपा सदस्य इस पर आपत्ति जताते हुए सदन के बीचोंबीच आ गए। इस पर अधिष्ठाता दोबारा खड़े हुए और सदस्यों से फिर से हां या ना में आवाज उठाने को कहा और विधेयक को पारित घोषित कर दिया।

सपा सदस्यों के विरोध के बीच सदन की कार्यवाही शनिवार पूर्वाह्न 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। इससे पहले 17 अध्यादेशों को सदन की मेज पर रखा गया और कार्य-सूची की मदों को निपटाया गया। इस बीच, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लोकसेवा विधेयक को पारित कराए जाने को बहुमत का अपमान करार दिया।

उन्होंने एक ट्वीट में कहा “आज विधान परिषद में जिस प्रकार बहुमत का अपमान कर बिल पारित कराए गए, वो सत्ता पक्ष के नैतिक पतन और भाजपा सरकार के निरंतर कमजोर होते जाने का प्रतीक है।” अखिलेश ने आरोप लगाया “भाजपा सरकार के इस दौर में लोकधर्म की अवमानना चरम पर है।” गौरतलब है कि प्रदेश विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी का विधान परिषद में बहुमत है। सौ सदस्यीय विधान परिषद में उसके 53 सदस्य हैं।

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