भोपाल। मप्र हाई कोर्ट (MP High Court) ने राज्य शासन से पूछा है कि प्रायवेट अस्पतालों (Private hospitals) में वैक्सीनेशन (Vaccination) पर क्यों रोक लगाई है। मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक (Mohammad Rafiq) व जस्टिस अतुल श्रीधरन (Atul Sreedharan) की युगलपीठ ने राज्य शासन से यह भी पूछा है कि जिला स्तर पर शिकायतों के निराकरण के लिए व्यवस्था क्यों नहीं है। मामले की अगली सुनवाई 17 मई को निर्धारित की गई है। हाईकोर्ट एडवोकेट्स बार एसोसिएशन (High Court Advocates Bar Association) की ओर से दायर याचिका में कहा कि सीएमएचओ (CMHO) ने प्रायवेट अस्पतालों (Private Hospitals) में वेक्सीनेशन (Vaccination) पर रोक लगा दी है। प्रायवेट अस्पतालों (Private hospitals) को 30 अप्रैल के बाद बचे हुए वैक्सीन (Vaccination) वापस करने के लिए कहा गया है। ऐसे में प्रायवेट अस्पतालों (Private hospitals) में दूसरा डोज लगना संभव नहीं होगा। डिवीजन बैंच (Division Bench) ने इस पर जवाब मांगा है। कोर्ट मित्र एवं वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ (Naman Nagrath) ने कहा कि सरकार (Government) ने ऑक्सीजन (Oxygen), रेमडेसिविर (Ramdesvir) और निर्धारित दरों और आयुष्मान कार्ड (Ayushman Card) पर इलाज के लिए जिला स्तर पर एक कमेटी का गठन किया है, लेकिन कमेटी के पास पीडि़तों की शिकायत सुनने का अधिकार नहीं है। शिकायतों के निराकरण के लिए राज्य स्तर पर तीन आईएएस (IAS) अधिकारियों की समिति बनाई गई है। राज्य स्तरीय समिति के पास पीडि़तों का शिकायत लेकर पहुंचना संभव नहीं है।
रेमडेसिविर के लिए निकाले गए ग्लोबल टेंडर
महाधिवक्ता पुरूषेन्द्र कौरव और उप महाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने बताया कि रेमडेसिविर इंजेक्शन की उपलब्ब्धता को बढ़ाने के लिए ग्लोबल टेंडर निकाले गए है। सरकार ने 31 मार्च को 60 हजार रेमडेसिविर के लिए टेंडर निकाले थे, जो अभी तक नहीं मिले है। वहीं हाल ही में 2 लाख रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए टेंडर निकाला गया है। इसकी सप्लाई में भी समय लगने की संभावना है।
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