नई दिल्ली। रूसी वैक्सीन (Russian vaccine) स्पूतनिक V (Sputnik-V) को भारत (India) में बीते मई महीने में लॉन्च किया गया था। इस वैक्सीन (vaccine) का वितरण भारत में फार्मा कंपनी डॉ. रेड्डीज (Pharma Company in India Dr. Reddy’s) द्वारा किया जा रहा है. जिस वक्त इस वैक्सीन को लॉन्च किया गया था उस वक्त देश में कोरोना की दूसरी लहर का भीषण प्रकोप था, तब इसे राहत के तौर पर देखा गया था कि देश के खाते में एक और वैक्सीन आई. लेकिन वक्त गुजरने के साथ इस वैक्सीन की मांग पर असर पड़ा है. इसके कई कारण हैं।
दरअसल इस वक्त देश में केंद्र सरकार की तरफ से मुफ्त वैक्सीनेशन सभी को मुहैया करवाया जा रहा है। कुल वैक्सीन निर्माण का 75 फीसदी केंद्र सरकार खरीद रही है और 25 फीसदी प्राइवेट अस्पतालों के लिए छोड़ दिया गया है. सरकारी अस्पतालों में मुफ्त में वैक्सीनेशन किया जा रहा है। बीते समय में देश में वैक्सीनेशन की रफ्तार बेहद तेज हुई है. सरकारी अस्पतालों और सेंटर्स पर वैक्सीन की कोई कमी नहीं है. ऐसे में एक्सपर्ट्स का कहना है कि सिर्फ प्राइवेट अस्पतालों में मौजूद होने के कारण स्पूतनिक की मांग घटी है। कई प्राइवेट अस्पतालों ने तो स्पूतनिक के ऑर्डर भी कैंसिल कर दिए गए हैं. देश में अब तक स्पूतनिक के करीब 9 लाख डोज ही लगाए गए हैं।
स्टोरेज का मुद्दा
स्पूतनिक वैक्सीन के दो डोज 21 दिनों के अंतर पर लगवाने होते हैं. स्पूतनिक को -18 डिग्री सेल्सियस पर स्टोर करना होता है जबकि देश में सबसे ज्यादा लग रही वैक्सीन कोविशील्ड को सामान्य रेफ्रिजरेटर में रखा जा सकता है. इसके अलावा भारत की स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन को भी सामान्य फ्रीजर में रखा जा सकता है. माना जा रहा है कि स्पूतनिक की राह में ये भी एक बड़ा रोड़ा साबित हो रहा है।
अधिक दाम
स्पूतनिक की कम डिमांड का एक और कारण अधिक मूल्य भी है. आयातित स्पूतनिक के एक डोज की कीमत इस वक्त 948 रुपए है. इस पर 5 फीसदी जीएसटी भी लगता है. जब लोकल सप्लाई शुरू होगी तब दाम कम हो सकता है. अगस्त महीने में डॉ. रेड्डीज ने कहा था कि सितंबर से भारत में निर्मित स्पूतनिक मिलने लगेगी।
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