नई दिल्ली (New Delhi)। वैक्सीन (covishield vaccine) बनाने वाली ग्लोबल कंपनी एस्ट्राजेनेका (Global company AstraZeneca) ने यह स्वीकार किया है कि ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय (University of Oxford) के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित उसकी कोविड-19 वैक्सीन से खून के थक्के जमने और कम प्लेटलेट काउंट जैसी दुर्लभ बीमारी सामने आई है।
इस वैक्सीन को भारत में कोविशील्ड के नाम से बेचा गया है। भारत में इस वैक्सीन का निर्माण पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा किया गया। भारत में इस वैक्सीन की करीब 175 करोड़ डोज लोगों को लगाई गई हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या भारत में इस वैक्सीन को लेने वाले लोगों को चिंता करने की जरूरत है?
कोविशील्ड वैक्सीन लेने के 4 से 42 दिन के अंदर थ्रोम्बोसिस विद थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) हो सकता है। यानी ब्लड क्लॉट बन सकता है और प्लेटलेट्स कम हो सकती हैं। कोविशील्ड वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्टाजेनेका ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान अपनी वैक्सीन के रेयर साइड इफेक्ट्स को स्वीकार किया है। इसके बाद भारत में भी इस पर चर्चा शुरू हो गई है। एक्सपर्ट का कहना है इसको लेकर पैनिक होने की जरूरत नहीं है। खासकर हार्ट अटैक को लेकर अफवाह पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है।
डॉ. अंशुमान ने कहा कि कंपनी ने यह भी माना है कि टीटीएस ब्रेन में, लंग्स में, आंत की खून की नली में और पैर में पाया गया है। जितने भी लोगों ने शिकायत की है उसमें से किसी ने भी हार्ट अटैक की समस्या नहीं बताई है। इसलिए वैक्सीन को लेकर हार्ट अटैक होने के खतरे को लेकर चिंतित होना बेकार की बात है। हां, यह बात सच है कि कोविड संक्रमण की वजह से ब्लड क्लॉट बनते हुए पाया गया है और इसका असर हार्ट पर भी हुआ है। देश की आईसीएमआर ने भी अपनी स्टडी में इस बात को खारिज किया है वैक्सीन की वजह से कार्डियक अरेस्ट होता है।
क्या होता है टीटीएस?
कोविड एक्सपर्ट डॉ. अंशुमान कुमार ने कहा कि किसी भी रिपोर्ट में यह नहीं कहा गया है कि वैक्सीन की वजह से हार्ट अटैक हो रहा है। इसमें बताया गया है कि वैक्सीन की पहली डोज के 4 से 42 दिन के अंदर टीटीएस होने की बात स्वीकार की गई है। जब वैक्सीन की पहली डोज दी जाती है तो उसका इम्यून सिस्टम का टी सेल और बी सेल एक्टिव हो जाता है। इम्यून रेस्पॉन्स बढ़ जाता है और खून की नली में सूजन आ जाती है। इसकी वजह से ब्लड क्लॉट बनता है। जब ब्लड क्लॉट बनता है तो इससे प्लेटलेट्स ज्यादा खर्च होती है, जिसकी वजह से प्लेटलेट्स कम होने लगती है और ब्लीडिंग का खतरा बढ़ जाता है। इसे ही टीटीएस कहा जाता है।
क्यों हो रह है हार्ट अटैक?
डॉ. अंशुमान ने कहा कि कोविड की बीमारी के दौरान हार्ट में भी क्लॉट बन रहा था। मांसपेशियों में सूजन की वजह से हार्ट बीट प्रभावित हो रही थी। कई प्रकार की दिक्कत हो रही थी। लॉकडाउन की वजह से लोगों का लाइफ स्टाइल खराब रही। मूवमेंट थम गया था, असुरक्षा थी, मेंटल स्ट्रेस बढ़ा हुआ था। मोटापा और डायबिटीज का स्तर बढ़ गया था। खानपान हैवी हो गया था। साथ में फिजिकल एक्टिविटी की कमी की वजह से हार्ट अटैक का रिस्क बढ़ा हुआ था। यही नहीं मोटापा एक गंभीर समस्या बन रही है। 33 परसेंट डायबिटीज के मरीज हैं, पल्यूशन भी एक वजह है। ये सभी वजह स्टैबलिश हैं।
कंपनी को यह बताना चाहिए था
जीबी पंत के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. युसूफ जमाल ने कहा कि कंपनी ने अब स्वीकार किया है कि उनकी वैक्सीन में टीटीएस का साइड इफेक्ट था। कंपनी को यह बात छिपानी नहीं चाहिए थी, इसे पहले ही बताया जाना चाहिए था, ताकि लोगों को पता होता और वह अपनी इच्छा से वैक्सीन लेते।
‘इफेक्ट करेगी तो साइड इफेक्ट भी’
डॉक्टर अंशुमान ने कहा कि कोई भी दवा या वैक्सीन अगर असर करेगी तो उसका साइड इफेक्ट भी होगा। मल्टीविटामिन की भी दवा का साइड इफेक्ट होगा। ऐसे में वैक्सीन का असर 1 लाख लोगों में से दो पर हो रहा है, जो .0002 परसेंट है। इसको लेकर बिना वजह पैनिक होना सही नहीं है। सच तो यह है कि जितने लोग की मौत कोविड के डेल्टा फेज में हुई उससे कहीं ज्यादा लोगों की जान इस वैक्सीन से बची है। डॉक्टर ने कहा कि मुझे लगता है कि वैक्सीन पर इंटरनैशनल राजनीति चल रही है।
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