हावड़ा। पश्चिम बंगाल के पूर्वी मेदिनीपुर में शुभेंदु अधिकारी की जो अहमियत भाजपा के लिए है, हावड़ा में पार्टी के लिए वही रुतबा राजीब बनर्जी रखते हैं। करीब दो महीने पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में जाने से पहले तक शुभेंदु अधिकारी की तरह राजीब बनर्जी भी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सरकार में एक प्रभावशाली मंत्री थे। सेंट जेवियर्स कॉलेज से स्नातक बनर्जी इस बार हावड़ा की दोमजुर विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। टीएमसी की तरफ से इस सीट पर वे 2011 से जीतते आए हैं और इस विधानसभा के 40 प्रतिशत मतदाता मुस्लिम हैं।
इसीलिए यहां प्रचार की रणनीति शुभेंदु अधिकारी के नंदीग्राम से काफी अलग है, जहां भाजपा की पहली प्राथमिकता हिन्दू मतदाता हैं। अधिकारी जो कि 2016 में टीएमसी की टिकट से इस हाईप्रोफाइल सीट पर जीत चुके हैं, एक बार फिर यहां से बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ चुनावी दम ठोक रहे हैं।
बतौर भाजपा उम्मीदवार बनर्जी को यकीन है कि वे दोमजुर सीट पर फिर से जीत हासिल करेंगे। दोमजुर के मुस्लिम बहुलता वाले दंशपारा गांव में प्रचार के दौरान उन्होंने एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में बताया, “मैं एक ऐसे सीट से चुनाव लड़ रहा हूं जहां अल्पसंख्यक काफी प्रभावी हैं और मैंने इस सीट को फिर से जीतने की चुनौती स्वीकार की है। मुस्लिम भी हमारे साथ हैं।” गांव के कीचड़ भरे रास्तों पर चलते हुए वे मुस्लिम बुजुर्गों से कहते हैं, “भरोसा रखिए, सब ठीक है।” इसी इलाके के रहनेवाले प्रभावशाली मुस्लिम बनर्जी की टीम के साथ हैं।
क्या है चुनौती
दोमजुर से टीएमसी उम्मीदवार कल्याण घोष मतदाताओं को बता रहे हैं कि बनर्जी ‘दूसरे शुभेंदु ‘ हैं, जिन्होंने भाजपा से हाथ मिलाकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पीठ में छूरा घोंपा है। दोमजुर का यह मुस्लिम बहुल गांव टीएमसी के पोस्टरों से पटा पड़ा है। जब बनर्जी से यह पूछा गया कि टीएमसी उनके ऊपर ‘दूसरा शुभेंदु’ होने का आरोप लगा रही है, तो उन्होंने कहा, “उन लोगों के पास कहने के लिए और कुछ नहीं है।”
उन्होंने कहा, “मैं टीएमसी में था, लेकिन देखिए उन्होंने मेरे साथ कैसा व्यवहार किया, उन्होंने मेरे काम को रुकवा दिया। बंगाल और दोमजुर की जनता के लिए मैं जो विकास कार्य कर रहा था, उसे रोक दिया गया। निश्चित तौर पर मुझे एक फैसला करना था। मेरे पास कुछ योजनाएं थीं, जिसके बारे में मैंने उन्हें कई बार बताया था। अब वे मेरे खिलाफ ना सिर्फ प्रचार कर रहे हैं, बल्कि व्यक्तिगत हमले भी कर रहे हैं।”
बनर्जी ने आगे कहा, “ममता ने तो खुद भी कांग्रेस पार्टी को छोड़ा था और नई पार्टी बनाई थी। फिर बाद में कुछ समय के लिए वे भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए, तो कुछ समय के लिए कांग्रेस नीत यूपीए के साथ रहीं। हर कोई शांत और सुरक्षित स्थान चाहता है।”
इसमें कोई शक नहीं कि बनर्जी हावड़ा जिले के सबसे बड़े नेता हैं, जिससे उनकी चुनौती कुछ कम हो जाती है। भाजपा को उम्मीद है कि दोमजुर के अलावा जिले की अन्य 15 विधानसभा सीटों पर भी बनर्जी का असर दिखाई देगा और वोट पार्टी के पक्ष में आएंगे। बता दें कि इन 15 सीटों पर भाजपा ने कभी भी जीत हासिल नहीं की है।
यहां तक कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भी (जब बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से 18 पर भाजपा विजयी हुई थी), पार्टी मुस्लिम बहुल आबादी वाले हावड़ा से संबंधित 16 विधानसभा क्षेत्रों में से सिर्फ एक सीट पर ही अपना असर दिखा सकी थी। लेकिन भाजपा नेताओं का कहना है कि वे इस बार सात से आठ सीटें जीत सकते हैं। हावड़ा की इन 16 सीटों पर तीसरे और चौथे चरण में वोट डाले जाएंगे।
बनर्जी को यकीन है कि भाजपा के पास हावड़ा में जीत का अच्छा मौका है। बनर्जी ने कहा, “आप हावड़ा जिले के चुनावी नतीजे और बंगाल की दूसरी जगहों के परिणाम देख लीजिएगा। चौथे चरण के मतदान के बाद मैं राज्य के दूसरे स्थानों पर भी जाऊंगा। मैं इस बात को लेकर निश्चित हूं कि भाजपा सत्ता में आएगी। आपने देखा है कि नंदीग्राम में क्या हुआ, जहां खुद सीएम ममता हारेंगी… इसलिए हमने कहा है कि 249 विधानसभा सीटों में से हम 200 सीटों पर जीतकर आएंगे। हावड़ा में भी आप जादू देखेंगे।”
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