नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव(assembly elections) में भाजपा ने 250 से ज्यादा सीटें हासिल कर बड़े बहुमत से सरकार बना ली थी, लेकिन हैरानी की बात यह थी कि उसके बड़े ओबीसी चेहरे और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को हार का सामना करना पड़ा था। अब भाजपा की ही एक रिपोर्ट में सिराथू सीट (Sirathu Seat) से केशव प्रसाद मौर्य की हार की वजह बताई गई है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश भाजपा ने 80 पन्नों की एक रिपोर्ट में 2017 के मुकाबले सीटें कम होने की वजह बताई है और इस रिपोर्ट को पीएम नरेंद्र मोदी को सौंपा गया है।
ओबीसी जातियों का समर्थन न मिलने से हारे मौर्य
रिपोर्ट में बताया गया है कि अपना दल और निषाद पार्टी(Apna Dal and Nishad Party) से गठबंधन के बाद भी कुर्मी और निषाद बिरादरी का अपेक्षित समर्थन भाजपा को नहीं मिल सका है, जबकि इन पार्टियों को भाजपा का वोट ट्रांसफर हुआ है। यही वजह है कि उन्हें अच्छी संख्या में सीटें मिली हैं। पार्टी सूत्रों ने कहा कि ऐसी कई पिछड़ी जातियों की ओर से भाजपा को समर्थन न मिलना ही सिराथू सीट से डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की हार की वजह बन गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुशवाहा, कुर्मी, मौर्य, सैनी, निषाद, पाल, शाक्य, राजभर बिरादरी के लोगों ने बड़ी संख्या में भाजपा को वोट नहीं दिया और वे सपा गठबंधन की ओर चले गए। 2017 में इन सभी जातियों का बड़ा समर्थन भाजपा को मिला था।
लाभार्थी वर्ग का समर्थन न मिलने से भी बढ़ी चिंता
पार्टी सूत्रों का कहना है कि लीडरशिप इस बात को लेकर चिंतित है कि राज्य में भाजपा की ओर से दो महीने तक सदस्यता अभियान चलाया गया और इसके बाद भी सीटें कम हो गईं। भाजपा ने यूपी में 80 लाख नए सदस्यों को जोड़ा है और उसके 2.9 करोड़ मेंबर हो गए हैं। भाजपा नेतृत्व इस बात को लेकर भी चिंतित है कि जिस लाभार्थी वर्ग से बड़े समर्थन की उसे उम्मीद थी, उसने उतना सपोर्ट नहीं किया है। हालांकि बड़ी संख्या में लोगों ने एनडीए सरकार की वेलफेयर स्कीमों की तारीफ की थी। भाजपा का सबसे खराब प्रदर्शन गाजीपुर, अंबेडकरनगर और आजमगढ़ जैसे जिलों में रहना है। इन तीन जिलों की 22 सीटों में से भाजपा को एक भी नहीं मिल पाई।
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