• img-fluid

    ISRO के बड़े मिशन श्रीहरिकोटा से ही क्यों होते हैं लॉन्च? जानिए इसके पीछे की बड़ी वजह

  • August 28, 2023

    नई दिल्ली: चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग (Successful soft landing of Chandrayaan-3) के बाद ISRO ने आदित्य एल-1 की लांचिंग का ऐलान (Announcement of the launch of Aditya L-1) कर दिया है. 2 सितंबर को श्री हरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (Satish Dhawan Space Center at Sri Harikota) से इसे लॉन्च किया जाएगा. यह भारत का पहला सोलर मिशन (Solar Mission) है, जिसकी लॉन्चिंंग के लिए एक बार फिर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान  संगठन ने श्रीहरिकोटा को चुना है.

    श्रीहरिकोटा भारत का लॉन्चिंंग स्टेशन है, 1971 के बाद से इसरो ने जितने भी बड़े मिशन किए हैं उन सबकी लॉन्चिंंग इसी लॉन्चिंंग पैड से की गई है. आंध्रप्रदेश के तट पर बसे इस द्वीप को भारत का प्राइमरी स्पेस पोर्ट भी कहा जाता है. यह श्रीहरिकोटा सुल्लुरपेटा मंडल में है जो भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के लिए बहुत ही महत्व रखता है. यहां 1971 में ही सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र की स्थापना की गई थी.

    श्रीहरिकोटा में ही सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र है, जहां से इसरो सभी मिशन लॉन्च करता है, यह स्थान इक्वेटर यानी की भूमध्य रेखा के पास है. जितने भी स्पेस क्राफ्ट या सैटेलाइट धरती की ऑर्बिट में घूम रहे हैं, इन्हें इक्वेटर से पास से ही इंजेक्ट किया जाता है. इसीलिए श्री हरिकोटा से रॉकेट लांच करने से मिशन का सक्सेस रेट बढ़ता और मिशन की लागत भी कम आती है.

    अंतरिक्ष मिशन लांच करने के लिए स्पेस पोर्ट ऐसे स्थान पर बनाया जाता है जो भीड़ भाड़ और लोगों की आवाजाही से दूर हो. श्री हरिकोटा इसके लिए बिल्कुल परफेक्ट है. यह आंध्रप्रदेश से जुड़ा एक द्वीप है, जिसके दोनों ओर समुद्र है. ऐसे में यहां से लांच के बाद किसी रॉकेट के अवशेष सीधे समुद्र में गिरते हैं, यदि मिशन को कोई खतरा भी होता है तो उसे समुद्र की दिशा में मोड़कर जनहानि से बचा जा सकता है. स्पेस मिशन लांच करने के लिए श्रीहरिकोटा को चुनने की वजह मौसम भी है, दरअसल यह एक द्वीप है, इसलिए यहां मौसम सामान्यत: एक सा ही रहता है. बारिश के मौसम को छोड़ दें तो तकरीबन दस महीने यहां मौसम सूखा ही रहता है. इसीलिए इसरो श्रीहरिकोटा को ज्यादा तरजीह देता है.

    इसरो के पास सिर्फ श्रीहरिकोटा का सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र ही लॉन्चिंंग स्टेशन नहीं है. बल्कि केरल के तिरवनंतपुरम में स्थित थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेल लॉन्चिंंग स्टेशन भी है, जिससे इसरो पहले मिशन लॉन्च करता था. श्रीहरिकोटा के लॉन्चिंंग पैड बनने से पहले भारत में सभी मिशन थुम्बा से ही लॉन्च किए थे. वर्तमान में भी इसरो साउंडिंग रॉकेट यानी रिसर्च रॉकेट की लॉन्चिंंग इसी लॉन्चिंंग पैड से करता है.

    भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की ओर से आदित्य एल-1 मिशन का ऐलान किया गया है, यह मिशन सूर्य का अध्ययन करेगा. 2 सितंबर को दोपहर 11 बजकर 50 मिनट पर इसे लॉन्च किया जाना है. श्री हरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसे पीएसएलवी सी-57 रॉकेट से लांच किया जाएगा. सूर्य के ऑर्बिट में पहुंचकर यह क्रोमोस्फेरिक और कोरोनल हीटिंग तथा प्लाज्मा की भौतिकी और कोरोनल मास इंजेक्शन के बारे में जानकारियां जुटाएगा.

    Share:

    Rakhi 2023 : क्या है रक्षाबंधन के त्योहार से जुडी मान्यता, क्यों मनाया जाता है ये त्योहार, जानिए

    Mon Aug 28 , 2023
    Raksha Bandhan 2023 : रक्षाबंधन का त्यौहार (raksha bandhan festival 2023) हिंदू धर्म का ऐसा त्योहार है जिसे भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक माना जाता है . उस दिन भाई अपनी बहन की जीवन भर रक्षा करने का वचन देता है. इस दिन बहने अपने भाई की कलाई पर एक रक्षा सूत्र बांधती हैं, मिठाई […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    बुधवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved